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कटु सत्य – Harsh Truth

ईसाईयों को इंग्लिश आती है वो बाइबिल पढ लेते है,
उधर मुस्लिम को उर्दू आती है वो कुरान शरीफ़ पढ लेते हैं,

सिखों को गुरबानी का पता है वो श्री गुरू ग्रन्थ साहिब पढ लेते है ।

हिन्दूओ को संस्कृत नही आती वो ना वेद पढ पाते है न उपनिषद ।

इस से बडा दुर्भाग्य क्या होगा हमारा 🔔🌿

संस्कृत ही विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा है इसे अवश्य सीखें

प्रतिदिन स्मरण योग्य शुभ सुंदर मंत्र। संग्रह

🔹 प्रात: कर-दर्शनम्🔹

कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥

     *🔸पृथ्वी क्षमा प्रार्थना🔸*

समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते।
विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव॥

🔺त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण🔺

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥

          *♥️ स्नान मन्त्र ♥️*

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥

       *🌞 सूर्यनमस्कार🌞*

ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥

ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥

            *🔥दीप दर्शन🔥*

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते॥

दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते॥

        *🌷 गणपति स्तोत्र 🌷*

गणपति: विघ्नराजो लम्बतुन्ड़ो गजानन:।
द्वै मातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:॥
विनायक: चारूकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वादश एतानि नामानि प्रात: उत्थाय य: पठेत्॥
विश्वम तस्य भवेद् वश्यम् न च विघ्नम् भवेत् क्वचित्।

विघ्नेश्वराय वरदाय शुभप्रियाय।
लम्बोदराय विकटाय गजाननाय॥
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय।
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।
प्रसन्नवदनं ध्यायेतसर्वविघ्नोपशान्तये॥

    *⚡आदिशक्ति वंदना ⚡*

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

       *🔴 शिव स्तुति 🔴*

कर्पूर गौरम करुणावतारं,
संसार सारं भुजगेन्द्र हारं।
सदा वसंतं हृदयार विन्दे,
भवं भवानी सहितं नमामि॥

          *🔵 विष्णु स्तुति 🔵*

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

        *⚫ श्री कृष्ण स्तुति ⚫*

कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम॥
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि।
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी॥

मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्‌।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्‌॥

        *⚪ श्रीराम वंदना ⚪*

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥

           *♦श्रीरामाष्टक♦*

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥

*🔱 एक श्लोकी रामायण 🔱*

आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीवसम्भाषणम्॥
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि श्री रामायणम्॥

       *🍁सरस्वती वंदना🍁*

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वींणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपदमासना॥
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम पातु सरस्वती भगवती
निःशेषजाड्याऽपहा॥

        *🔔हनुमान वंदना🔔*

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्‌।
दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्‌।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्‌।
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये॥

     *🌹 स्वस्ति-वाचन 🌹*

ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥

        *❄ शांति पाठ ❄*

ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्‌ पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुँ) शान्ति:,
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्व (गुँ) शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥

॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

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गुप्त नवरात्रि – Navratri

🙏🏻 हिंदू धर्म के अनुसार, एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है, लेकिन आमजन केवल दो नवरात्रि (चैत्र व शारदीय नवरात्रि) के बारे में ही जानते हैं। आषाढ़ तथा माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस बार माघ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ माघ शुक्ल प्रतिपदा (05 फरवरी, मंगलवार) से हो रहा है, जिसका समापन 14 फरवरी, गुरुवार को होगा। इस नवरात्रि में भी हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है। जानिए गुप्त नवरात्रि में किस दिन देवी के किस रूप की पूजा करें-
🙏🏻 पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा
गुप्त नवरात्रि के पहले दिन (05 फरवरी, मंगलवार) को मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा। हिमालय हमारी शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते हैं व योग साधना करते हैं।
🙏🏻 हमारे जीवन प्रबंधन में दृढ़ता, स्थिरता व आधार का महत्व सर्वप्रथम है। अत: इस दिन हमें अपने स्थायित्व व शक्तिमान होने के लिए माता शैलपुत्री से प्रार्थना करनी चाहिए। शैलपुत्री का आराधना करने से जीवन में स्थिरता आती है। हिमालय की पुत्री होने से यह देवी प्रकृति स्वरूपा भी है। स्त्रियों के लिए उनकी पूजा करना ही श्रेष्ठ और मंगलकारी है।

🌷 गुप्त नवरात्रि 🌷
👉 माघ मास, शुक्ल पक्ष की प्रथम नौ तिथियाँ माघ मास की गुप्त नवरात्रियाँ है l
🙏 एक वर्ष में कुल चार नवरात्रियाँ आती हैं , जिनमे से सामान्यतः दो नवरात्रियो के बारे में आपको पता है ,पर शेष दो गुप्त नवरात्रियाँ हैं l

🌷 शत्रु को मित्र बनाने के लिए 🌷
🙏 नवरात्रि में शुभ संकल्पों को पोषित करने, रक्षित करने, मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए और शत्रुओं को मित्र बनाने वाले मंत्र की सिद्धि का योग होता है।
🙏 नवरात्रि में स्नानादि से निवृत्त हो तिलक लगाके एवं दीपक जलाकर यदि कोई बीज मंत्र ‘हूं’ (Hum) अथवा ‘अं रां अं’ (Am Raam Am) मंत्र की इक्कीस माला जप करे एवं ‘श्री गुरुगीता’ का पाठ करे तो शत्रु भी उसके मित्र बन जायेंगे l

👩 माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग 1
👵 जिन माताओं बहनों को दुःख और कष्ट ज्यादा सताते हैं, वे नवरात्रि के प्रथम दिन (देवी-स्थापना के दिन) दिया जलायें और कुम-कुम से अशोक वृक्ष की पूजा करें ,पूजा करते समय निम्न मंत्र बोलें :🌷 “अशोक शोक शमनो भव सर्वत्र नः कुले “
🙏 ” ASHOK SHOK SHAMNO BHAV SARVATRA NAH KULE “🙏 भविष्योत्तर पुराण के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन इस तरह पूजा करने से माताओ बहनों के कष्टों का जल्दी निवारण होता है l

👩 माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग 2
🙏 माघ मास शुक्ल पक्ष तृतीया (08 फरवरी 2019) के दिन में सिर्फ बिना नमक मिर्च का भोजन करें l (जैसे दूध, रोटी या खीर खा सकते हैं, नमक मिर्च का भोजन ही करें l)
🌷 • ” ॐ ह्रीं गौरये नमः ” 🌷
🙏 “Om Hreem Goryaye Namah”
🙏 मंत्र का जप करते हुए उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्वयं को कुमकुम का तिलक करें l
🐄 गाय को चन्दन का तिलक करके गुड़ ओर रोटी खिलाएं l
💶 श्रेष्ठ अर्थ (धन) की प्राप्ति हेतु 💶
💥 प्रयोग : नवरात्रि में देवी के एक विशेष मंत्र का जप करने से श्रेष्ठ अर्थ कि प्राप्ति होती है
🙏 मंत्र ध्यान से पढ़ें 🙏
🌷 “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल-वासिन्ये स्वाह् “
🌷 ” OM SHREEM HREEM KLEEM AIM KAMALVAASINYE SWAHA “

👦 विद्यार्थियों के लिए 👦
🙏 प्रथम नवरात्रि के दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को ईशान कोण में रख कर पूजन करें और नवरात्रि के तीसरे तीन दिन विद्यार्थी सारस्वत्य मंत्र का जप करें।
🙏 इससे उन्हें विद्या प्राप्ति में अपार सफलता मिलती है l
🙏 बुद्धि व ज्ञान का विकास करना हो तो सूर्यदेवता का भ्रूमध्य में ध्यान करें । जिनको गुरुमंत्र मिला है वे गुरुमंत्र का, गुरुदेव का, सूर्यनारायण का ध्यान करें।
🙏 अतः इस सरल मंत्र की एक-दो माला नवरात्रि में अवश्य करें और लाभ लें l

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मौनी अमावस्या – Quiet New Moon

🙏🏻 उस दिन प्रयाग में स्नान की तिथि है | आप सब प्रयाग तो नहीं जाओगे पर अपने घर पे ही उस दिन स्नान करते समय –

🌷 ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा | ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा |

🙏🏻 ये मंत्र बोलकर उबटन जो बापूजी ने बताया था उस उबटन को शरीर पर लगाकर स्नान करें तो गंगा स्नान का पुण्य मिलता है | अमावस्या के दिन तो जरुर करें | उस दिन गीता का सातवाँ अध्याय का पाठ करें और भगवान ने धन दिया है तो उस दिन घर में आटे की, बेसन की २ – ४ किलो मिठाई बना ले और गरीब बच्चे-बच्चियों में बाँट आयें, अपने पितरो के नाम दादा, दादी, नानी उनके नाम से बाँट कर आ जायें |

🌷 व्यतिपात योग 🌷

🙏🏻 व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।

🙏🏻 वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।

🙏🏻 व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नहीं दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसू बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।

🌷 मौनी अमावस्या का मंत्र 🌷

🙏🏻 भविष्योत्तर पुराण में बताया कि माघी अमावश्या के दिन अगर भगवान ब्रम्हाजी का कोई पूजन करे, श्लोक और गायत्री मंत्र बोलकर जो ब्रम्हाजी को नमन करते हैं और थोड़ी देर शांत बैठे और फिर गुरुमंत्र का जप करें तो उनको विशेष लाभ होता है | जो भाई-बहन जो सत्संग में आते हैं वो दैवी सम्पदा पायें और लौकिक सम्पदा भी पायें | किसी के सिर पे भार न रहें | दैवी सम्पदा से खूब धनवान हों और लौकिक धन की भी कमी न रहें |
🌷 मंत्र इस प्रकार है –

स्थानं स्वर्गेथ पाताले यन्मर्ते किंचिदत्तंम | तद्व्पोंत्य संधिग्धम पद्मयोंने प्रसादत: ||

🌷 गायत्री मंत्र –

ॐ भू भुर्व: स्व: तत सवितुर्वरेण्यं | भर्गो देवस्य धीमहि | धियो यो न: प्रचोदयात् ||

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दुःख ईश्वर का प्रसाद है

जब भगवान सृष्टि की रचना कर रहे तो उन्होंने जीव को कहा कि तुम्हे मृतुलोक जाना पड़ेगा,मैं सृष्टि की रचना करने जा रहा हूँ.

ये सुन जीव की आँखों मे आंसू आ गए.वो बोला प्रभु कुछ तो ऐसा करो की मे लौटकर आपके पास ही आऊ. भगवान को दया आ गई. उन्होंने दो बाते की जीव के लिए.

पहला संसार की हर चीज़ मे अतृप्ति मिला दी, कि तुझे दुनिया मे कुछ भी मिल जाये तू तृप्त नहीं होगा.

तृप्ति तुझे तभी मिलेगी जब तू मेरे पास आएगा और दूसरा सभी के हिस्से मे थोडा-थोडा दुःख मिला दिया कि हम लौट कर ईश्वर के पास ही पहुचे.

इस तरह हर किसी के जीवन मे थोडा दुःख है. जीवन मे दुःख या विषाद हमें ईश्वर के पास ले जाने के लिए है,

लेकिन हम चूक जाते है. हमारी समस्या क्या है कि हर किसी को दुःख आता है, हम भागते है ज्योतिष के पास,अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के पास.

कुछ होने वाला नहीं.

थोड़ी देर का मानसिक संतोष बस. यदि दुखो से घबराये नहीं और ईश्वर का प्रसाद समझ कर आगे बढे तो बात बन जाती है.

यदि हम ईश्वर से विलग होने के दिनों को याद कर ले तो बात बन जाती है और जीव दुखो से भी पार हो जाता है.

दुःख तो ईश्वर का प्रसाद है. दुखो का मतलब है, ईश्वर का बुलावा है. वो हमें याद कर रहा है पहले भी ये विषाद और दुःख बहुत से संतो के लिए ईश्वर प्राप्ति का मार्ग बन चुका है.

हमें ये बात अच्छे से समझनी चाहिए कि संसार मे हर चीज़ मे अतृप्ति है और दुःख और विषाद ईश्वर प्राप्ति का साधन है.

“जय श्री गणेश”

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भाव कथा – Story of Feelings

एक छोटी – सी भाव कथा भक्त

एक भगवान जी के भक्त हुए थे, उन्होंने 20 साल तक लगातार भगवत गीता जी का पाठ किया।

अंत में भगवान ने उनकी परिक्षा लेते हुऐ कहा:- अरे भक्त ! तू सोचता है कि मैं तेरे गीता के पाठ से खुश हूँ, तो ये तेरा वहम है।

मैं तेरे पाठ से बिलकुल भी प्रसन्न नही हुआ।

जैसे ही भक्त ने सुना तो वो नाचने लगा, और झूमने लगा।

भगवान ने बोला:- अरे ! मैंने कहा कि मैं तेरे पाठ करने से खुश नहीं हूँ और तू नाच रहा है।

वो भक्त बोला:- भगवान जी आप खुश हो या नहीं हो ये बात मैं नही जानता।

लेकिन मैं तो इसलिए खुश हूँ की आपने मेरा पाठ कम से कम सुना तो सही, इसलिए मैं नाच रहा हूँ।

ये होता है भाव….

थोड़ा सोचिये जब द्रौपदी जी ने भगवान कृष्ण को पुकारा तो क्या भगवान ने नहीं सुना?
भगवान ने सुना भी और लाज भी बचाई।

जब गजेन्द्र हाथी ने ग्राह से बचने के लिए भगवान को पुकारा तो क्या भगवान ने नहीं सुना?
बिल्कुल सुना और भगवान अपना भोजन छोड़कर आये।

कबीरदास जी, तुलसीदास जी, सूरदास जी, हरिदास जी, मीरा बाई जी, सेठ हरदयाल गोयनका जी, भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी, राधाबाबा जी, संत श्री रामसुखदास जी और न जाने अनेकानेक संत हुए हैं जो भगवान से बात करते रहे और भगवान भी उनकी सुनते थे।

इसलिए जब भी भगवान को याद करो , उनका नाम जप करो तो ये मत सोचना कि भगवान पुकार सुनते होंगे या नहीं?

कोई संदेह मत करना, बस ह्रदय से उनको पुकारना, खुद लगेगा कि हाँ, भगवान पुकार को सुन रहे हैं।

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उत्तरायण / सूर्य मंत्र – Mantra for Sun

उत्तरायण / सूर्य मंत्र
सूर्य मंत्र है ..

ॐ ध्रीं सूर्य आदित्येम् ।

इसका जप करें । वो ब्रह्मवेत्ता महाव्याधि और भय, दरिद्रता और पाप से मुक्त हो जाता है ।

सूर्य देव का मूल मंत्र है —

ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः ।

ये पद्म पुराण में आता है ….
सूर्य नमस्कार करने से ओज, तेज और बुद्धि की बढोत्तरी होती है |

ॐ सूर्याय नमः ।
ॐ रवये नमः ।
ॐ भानवे नमः ।
ॐ खगाय नमः ।
ॐ अर्काय नमः ।

सूर्य नमस्कार करने से आदमी ओजस्वी, तेजस्वी और बलवान बनता है इसमें प्राणायाम भी हो जाते हैं ।
???? विशेष -15 जनवरी 2021 मंगलवार को मकर संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से सूर्यास्त तक ) है ।

मकर संक्रांति

????नारद पुराण के अनुसार

“मकरस्थे रवौ गङ्गा यत्र कुत्रावगाहिता ।

पुनाति स्नानपानाद्यैर्नयन्तीन्द्रपुरं जगत् ।।”

सूर्य के मकर राशिपर रहते समय जहाँ कहीं भी गंगा में स्नान किया जाय , वह स्नान – पान आदि के द्वारा सम्पूर्ण जगत्‌‍ को पवित्र करती और अन्त में इन्द्रलोक पहुँचाती है।

पद्मपुराण के सृष्टि खंड अनुसार मकर संक्रांति में स्नान करना चाहिए। इससे दस हजार गोदान का फल प्राप्त होता है। उस समय किया हुआ तर्पण, दान और देवपूजन अक्षय होता है।

गरुड़पुराण के अनुसार मकर संक्रान्ति, चन्द्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण के अवसर पर गयातीर्थ में जाकर पिंडदान करना तीनों लोकों में दुर्लभ है।

मकर संक्रांति के दिन लक्ष्मी प्राप्ति व रोग नाश के लिए गोरस (दूध, दही, घी) से भगवान सूर्य, विपत्ति तथा शत्रु नाश के लिए तिल-गुड़ से भगवान शिव, यश-सम्मान एवं ज्ञान, विद्या आदि प्राप्ति के लिए वस्त्र से देवगुरु बृहस्पति की पूजा महापुण्यकाल / पुण्यकाल में करनी चाहिए।

मकर संक्रांति के दिन तिल (सफ़ेद तथा काले दोनों) का प्रयोग तथा तिल का दान विशेष लाभकारी है। विशेषतः तिल तथा गुड़ से बने मीठे पदार्थ जैसे की रेवड़ी, गज्जक आदि। सुबह नहाने वाले जल में भी तिल मिला लेने चाहिए।

इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल में अश्विनी नक्षत्र है। रोग मुक्ति के लिए काँसे के पात्र में घी भरकर मंदिर में दान करें।

विष्णु पुराण, द्वितीयांशः अध्यायः 8 के अनुसार

कर्कटावस्थिते भानौ दक्षिणायनमुच्यते ।

उत्तरायणम्प्युक्तं मकरस्थे दिवाकरे ।।

सूर्य के ‪‎कर्क‬ राशि में उपस्थित होने पर ‪‎दक्षिणायन‬ कहा जाता है और उसके ‪मकर ‬राशि पर आने से ‪उत्तरायण‬ कहलाता है ॥

धर्मसिन्धु के अनुसार

तिलतैलेन दीपाश्च देया: शिवगृहे शुभा:।

सतिलैस्तण्डुलैर्देवं पूजयेद्विधिवद् द्विजम्।।

तस्यां कृष्ण तिलै: स्नानं कार्ये चोद्वर्त्नम तिलै:

तिला देवाश्च होतव्या भक्ष्याश्चैवोत्तरायणे

उत्तरायण के दिन तिलों के तेल के दीपक से शिवमंदिर में प्रकाश करना चाहिए , तिलों सहित चावलों से विधिपूर्वक शिव पूजन करना चाहिए. ये भी बताया है की उत्तरायण में तिलों से उबटना, काले तिलों से स्नान, तिलों का दान, होम तथा भक्षण करना चाहिए .

अत्र शंभौ घृताभिषेको महाफलः . वस्त्रदानं महाफलं

मकर संक्रांति के दिन महादेव जी को घृत से अभिषेक (स्नान) कराने से महाफल होता है . गरीबों को वस्त्रदान से महाफल होता है .

अत्र क्षीरेण भास्करं स्नानपयेव्सूर्यलोकप्राप्तिः

इस संक्रांति को दूध से सूर्य को स्नान करावै तो सूर्यलोक की प्राप्ति होती है

नारद पुराण के अनुसार

क्षीराद्यैः स्नापयेद्यस्तु रविसंक्रमणे हरिम् ।

स वसेद्विष्णुसदने त्रिसप्तपुरुषैः सह ।।

जो सूर्यकी संक्रान्तिके दिन दूध आदिसे श्रीहरिको नहलाता है , वह इक्कीस पीढ़ियोंके साथ विष्णुलोक में वास करता है।

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ईश्वर आराधना के नियम – Rules for Praying to God

अनेक लोगो को ये शिकायत रहती है कि, हमे तो पुजा पाठ करने का समय ही नही मिलता । बहुत से लोग कहते है कि हमारी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण चाहकर भी पुजा नही कर पाते है।

ऐसे लोगो की परेशानी को ध्यान मे रखकर आज हम पुजा करने के कुछ तरीके बताना चाहते है, जो सबके लिए सरध एवं सुलभ है। जिसे करने मे आपका ना समय लगेगा और ना पैसे ही खर्च होंगे।
वस्तुतः भगवान को किसी वस्तु की आवश्यकता नही, वे तो भाव के भुखे है।आप उन्हे कुछ भी अर्पण करे या न करे, इससे उन्हे कोई फर्क नही पड़ता। सिर्फ आपका भाव समर्पण का होना जरूरी है।

1???? जिनके पास धन एवं समय दोनो का अभाव हो, वैसे लोग हर समय मन मे भगवान के नाम का जप कर सकते है। नाम जप करने के लिए किसी भी नियम की, शुद्धि अशुद्धि की या समय देखने की आवश्कता नही है। यह खाते पीते, सोते उठते, तथा हर काम करते हुए किया जा सकता है। जो पुरूष सब समय भगवान का स्मरण करते रहते है वो संसार सागर से तर जाते है।
( गीता 7/14 )

2???? जिनके पास थोड़ा समय तो है, पर धन का अभाव है। ऐसे लोग शास्त्रो मे वर्णित मानस पुजा कर सकते है। यह पुजा करने मे कुछ नियम का पालन करना होता है पर धन का खर्च बिल्कुल नही है।

मानस पुजा के नियम :-
सुबह मे स्नान आदि करने के बाद किसी शान्त जगह पर आसन लगाकर बैठ जाए और भगवान का ध्यान करें कि, सामने स्वर्ण सिंहासन पर भगवान विराजमान है । और हम उन्हे गंगाजल से, पंचामृत से स्नान करा रहे है। वस्त्राभूषण, चन्दन, पुष्प, धुप दीप, फल, जल, नैवेध आदि अर्पण कर उनकी आरती कर रहे है। इस पुजा के मंत्र भी पुराणो मे वर्णित है।

3???? जो लोग थोड़ा समय और धन खर्च कर सकते है, वो पंचोपचार विधि से पुजा करें । चंदन, फुल, धूप, दीप और नैवेध भगवान को अर्पण करे।

4???? जो लोग संपन्न है उन्हे षोड्सोपचार विधि से भगवान का पुजन करना चाहिए पाध, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, चंदन, फुल, धूप, दीप, नैवेध, आचमन, ताम्बुल, स्तवनपाठ, तर्पण और नमस्कार के द्वारा पुजन करे। संपन्न होते हुए भी गौण उपचारो से पुजा नही करनी चाहिए ।
भगवान का कथन है कि, जो भक्त प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल मुझे अर्पण करता है उसे मै सगुण रूप से प्रगट होकर खाता हुँ । ( गीता 9/26 )

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How to Meditate and Pray? – सिमरन और ध्यान कैसे करना चाहिए

सिमरन और ध्यान कैसे करना चाहिए
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कभी रात को नींद खुल जाए तो,
बिस्तर पर पड़े हुए नींद न आने के लिए परेशान मत होओ, इस सुनहरे
मौके को मत गँवाओ, यह तो बड़ी शुभ घड़ी है।

सारा जगत सोया है,
पत्नी-बच्चे, सब सोए हैं, मालिक ने एक मौका दिया है।

आराम से चुपचाप बैठ जाओ
अपने बिस्तर में ही, रात के सन्नाटे में प्यार से पहले सिमरन करो फिर धुन को सुनो; ये बोलते हुए झींगुर, यह रात की ख़ामोशी, सारा सँसार सोया हुआ,
पूरी शांति से बैठ जाओ

यही शाँति तुम्हारे अन्दर भी भर जायेगी ।

तुम्हारे शान्त मन में भी संगीत पैदा कर देगी

जब सारा घर और
सारी दुनिया बेहोशी में सोयी पड़ी हो तो
आधी रात चुपचाप सिमरन में बैठ जाना ही भजन के लिए सबसे शुभ घड़ी के लिए है।

ध्यान हमारी मर्जी से नहीं लगता।

ध्यान तो इतना नाजुक
है। एक पल में कहीं का कहीं पहुँच जाता है

ध्यान एकाग्र करने के लिए जोर जबर्दस्ती की नहीं, प्रेम और भरोसे की ज़रूरत है, धीरज रखो

बहुत धीरे-धीरे, आराम से और प्यार से सिमरन करना चाहिए ।

ध्यान बहुत धीरे धीरे एकाग्र होता है।

यदि एक बार हो जाए तो फिर

फिर चौबीस घंटे में
कभी भी हो सकता है ।

नहीं तो लोग हैं कि रोज पाँच बजे सुबह उठते हैं और बैठ गए ध्यान करने। मग़र काम नहीं बनता

कभी भी
मशीन की तरह जल्दी जल्दी सिमरन नहीं, करना चाहिए
ऐसै ध्यान एकाग्र नहीं होता।..
सिमरन शुरू करने से पहले, सतगुरू की हाज़़िरी महसूस करो
फिर उनके दरबार में अपनी हाज़़िरी लगाओ

सतगुरू के चरणों में यह अरदास करो, सच्चे पातशाह मेरी मदद करो दाता ।

प्रेम से, भक्ति भाव से, सहज भाव से सिमरन शुरू करो, और अपने मन से सिमरन करव़ाओ
हमारी सुरत इसे प्रेम से सुने, तभी तो अन्दर का रूख करेगी, तन और मन सुन्न होंगे.

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श्री राधा जी के 32 नाम – 32 Names of Shri Radha Ji

श्री राधा जी के 32 नामों का स्मरण करने से जीवन में सुख, प्रेम और शांति का वरदान मिलता है। धन और संपंत्ति तो आती जाती है जीवन में सबसे जरूरी है प्रेम और शांति.. श्री राधा जी के यह नाम जीवन को बनाते हैं शांत और सुखमयी…

1 : मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !!
2 : सौंदर्य राषिणी राधा ! राधा !!
3 : परम् पुनीता राधा ! राधा !!
4 : नित्य नवनीता राधा ! राधा !!
5 : रास विलासिनी राधा ! राधा !!
6 : दिव्य सुवासिनी राधा ! राधा !!
7 : नवल किशोरी राधा ! राधा !!
8 : अति ही भोरी राधा ! राधा !!
9 : कंचनवर्णी राधा ! राधा !!
10 : नित्य सुखकरणी राधा ! राधा !!
11 : सुभग भामिनी राधा ! राधा !!
12 : जगत स्वामिनी राधा ! राधा !!
13 : कृष्ण आनन्दिनी राधा ! राधा !!
14 : आनंद कन्दिनी राधा ! राधा !!
15 : प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !!
16 : रस आपूर्ति राधा ! राधा !!
17 : नवल ब्रजेश्वरी राधा ! राधा !!
18: नित्य रासेश्वरी राधा ! राधा !!
19 : कोमल अंगिनी राधा ! राधा !!
20 : कृष्ण संगिनी राधा ! राधा !!
21 : कृपा वर्षिणी राधा ! राधा !!
22: परम् हर्षिणी राधा ! राधा !!
23 : सिंधु स्वरूपा राधा ! राधा !!
24 : परम् अनूपा राधा ! राधा !!
25 : परम् हितकारी राधा ! राधा !!
26 : कृष्ण सुखकारी राधा ! राधा !!
27 : निकुंज स्वामिनी राधा ! राधा !!
28 : नवल भामिनी राधा ! राधा !!
29 : रास रासेश्वरी राधा ! राधा !!
30 : स्वयं परमेश्वरी राधा ! राधा !!
31 : सकल गुणीता राधा ! राधा !!
32 : रसिकिनी पुनीता राधा ! राधा !!

कर जोरि वन्दन करूं मैं
नित नित करूं प्रणाम
रसना से गाता रहूं
श्री राधा राधा नाम !


राधा-राधा जपने से हो जाएगा तेरा उद्धार,

क्योंकि यही वही वो नाम है जिससे कृष्ण को
है प्यार ..

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