एक छोटी – सी भाव कथा भक्त
एक भगवान जी के भक्त हुए थे, उन्होंने 20 साल तक लगातार भगवत गीता जी का पाठ किया।
अंत में भगवान ने उनकी परिक्षा लेते हुऐ कहा:- अरे भक्त ! तू सोचता है कि मैं तेरे गीता के पाठ से खुश हूँ, तो ये तेरा वहम है।
मैं तेरे पाठ से बिलकुल भी प्रसन्न नही हुआ।
जैसे ही भक्त ने सुना तो वो नाचने लगा, और झूमने लगा।
भगवान ने बोला:- अरे ! मैंने कहा कि मैं तेरे पाठ करने से खुश नहीं हूँ और तू नाच रहा है।
वो भक्त बोला:- भगवान जी आप खुश हो या नहीं हो ये बात मैं नही जानता।
लेकिन मैं तो इसलिए खुश हूँ की आपने मेरा पाठ कम से कम सुना तो सही, इसलिए मैं नाच रहा हूँ।
ये होता है भाव….
थोड़ा सोचिये जब द्रौपदी जी ने भगवान कृष्ण को पुकारा तो क्या भगवान ने नहीं सुना?
भगवान ने सुना भी और लाज भी बचाई।
जब गजेन्द्र हाथी ने ग्राह से बचने के लिए भगवान को पुकारा तो क्या भगवान ने नहीं सुना?
बिल्कुल सुना और भगवान अपना भोजन छोड़कर आये।
कबीरदास जी, तुलसीदास जी, सूरदास जी, हरिदास जी, मीरा बाई जी, सेठ हरदयाल गोयनका जी, भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी, राधाबाबा जी, संत श्री रामसुखदास जी और न जाने अनेकानेक संत हुए हैं जो भगवान से बात करते रहे और भगवान भी उनकी सुनते थे।
इसलिए जब भी भगवान को याद करो , उनका नाम जप करो तो ये मत सोचना कि भगवान पुकार सुनते होंगे या नहीं?
कोई संदेह मत करना, बस ह्रदय से उनको पुकारना, खुद लगेगा कि हाँ, भगवान पुकार को सुन रहे हैं।