Categories
Spiritual

परमात्मा से रिश्ता – Relationship with God

परमात्मा से रिश्ता

कहते हैं कि, अगर किसी के साथ रिश्ता बनाना हो तो, उसके लिये समय निकालना पड़ता है, उससे प्यार करना पड़ता है, तब जाकर कहीं एक रिश्ता बनता है I

फिर हमने कैसे सोच लिया कि, मंदिर गये, घण्टी बजाया और प्रसाद लिया, चलो भगवान से रिशता बन गया,

नहीं
उससे रिश्ता बनाना है तो, उस परमात्मा के लिये समय निकालना पडेगा, उसे याद करना पडेगा, उससे प्यार करना पडे़गा, तब जाकर वो मिलेगा….

जब हम कोई कपड़ा धोते हैं तो बगैर इस्त्री किये नहीं पहनते।
अगर कपडे में ज्यादा सिलवटे हो, तो इस्त्री ज्यादा गर्म करनी पड़ती है और, अगर सिलवटे फिर भी ना निकले तो हम पानी का छिड़काव करते हैं, जिससे इस्त्री की गर्मायीश और ज्यादा हो जाती है और सिलवटें निकल जाती है।

इसी तरह मालिक हमारी रुह को जब इस्त्री करते हैं तो उस पर से कर्म रूपी सिलवटें हटाने के लिए अलग-अलग तापमान की गर्माईश देते हैं। अगर आप बहुत ज्यादा परेशानी में हैं तो समझ लेना कोई सिलवट गहरी होगी जिसे निकालने के लिए उस मालिक ने इस्त्री की गर्मी बढ़ाई है।

इस कठिन घड़ी के बाद हमारी रुह उस कुल मालिक के लायक बन जाएगी।

Leave a Reply Cancel reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Exit mobile version