आध्यात्मिक परिपक्वता क्या है?
जब आप दूसरों को बदलने के प्रयास छोड़ के स्वयं को बदलना प्रारम्भ करें। तब आप आध्यात्मिक कहलाते हो
जब आप दुसरे जैसे है, वैसा उन्हें स्वीकारते हो तो आप आध्यात्मिक हो।
जब आप समझते है कि हर किसी का दृष्टिकोण उनके लिए सही है, तो आप आध्यात्मिक हो।जब आप घटनाओं और हो रहे वक्त का स्वीकार करते हो, तो आप आध्यात्मिक हो।
जब आप आपके सारे संबंधों से अपेक्षाओं को समाप्त करके सिर्फ सेवा के भाव से संबंधों का ध्यान रखते हो, तो आप आध्यात्मिक हो।
जब आप यह जानकर के सारे कर्म करते हो की आप जो भी कर रहे हो वो दुसरो के लिए न होकर के स्वयं के लिए कर रहे हो, तो आप आध्यात्मिक हो।
जब आप दुनिया को स्वयं के महत्त्व के बारे में जानकारी देने की चेश्टा नहीं करते , तो आप आध्यात्मिक हो।
अगर आपको स्वयं पर भरोसा रखने के लिए और आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए दुनियां के लोगों के वचनों की या तारीफों की ज़रूरत न हो तो आप आध्यात्मिक हो।
अगर आपने भेदभाव करना बंद कर दिया है, तो आप आध्यात्मिक हो।
अगर आपकी प्रसन्नता के लिए आप सिर्फ स्वयं पर निर्भर है, दुनिया पर नहीं,तो आप आध्यात्मिक हो।
जब आप आपकी निजी ज़रूरतों और इच्छाओं के बीच अंतर समझ के अपने सारे इच्छाओं का त्याग कर पातें है , तो आप आध्यात्मिक हो।
अगर आपकी खुशियां या आनंद भौतिक, पारिवारिक और सामाजिकता पर निर्भर नहीं होता, तो आप आध्यात्मिक हो।
आइये कुछ आध्यात्मिक परिपक्वता की ओर बढे।