Categories
Tips and Tricks Astrology

पितृ दोष दूर करने के उपाय

प्रातः सूर्य नमस्कार करें एवं सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल का अर्घ्य दें। ।

पूर्णिमा को चांदी के लोटे से दूध का अर्घ्य चंद्र देव को दें, व्रत भी करें।

बुजुर्गों या वरिष्ठों के चरण छू कर आशीर्वाद लें।

‘पितृ दोष शांति’ यंत्र को अपने पूजन स्थल पर प्राण प्रतिष्ठा द्वारा स्थापित कर, प्रतिदिन इसके स्तोत्र एवं मंत्र का जप करें।

पितृ गायत्री मंत्र द्वारा सवा लाख मंत्रों का अनुष्ठान अर्थात् जप, हवन, तर्पण आदि संकल्प लेकर विधि विधान सहित करायें।

अमावस्या का व्रत करें तथा ब्राह्मण भोज, दान आदि कराने से पितृ शांति मिलती है।

अपने घर में पितरों के लिये एक स्थान अवश्य बनायें तथा प्रत्येक शुभ कार्य के समय अपने पित्तरों को स्मरण करें। उनके स्थान पर दीपक जलाकर, भोग लगावें। ऐसा प्रत्येक त्योहार (उत्सव/पर्व) तथा पूर्वजों की मृत्यु तिथि के दिन करें। उपरोक्त पूजा स्थल घर की दक्षिण दिशा की तरफ करें तथा वहां पूर्वजों की फोटो-तस्वीर लगायें।

दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके कभी न सोयें।

अमावस्या को विभिन्न वस्तुओं जैसे – सफेद वस्त्र, मूली, रेवड़ी, दही व दक्षिणा आदि का दान करें।

प्रत्येक अमावस्या को श्री सत्यनारायण भगवान की कथा करायें और श्रवण करें।

विष्णु मंत्रों का जाप करें तथा श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करें। विशेषकर ये श्राद्ध पक्ष में करायें।

एकादशी व्रत तथा उद्यापन करें।

पितरों के नाम से मंदिर, धर्मस्थल, विद्यालय, धर्मशाला, चिकित्सालय तथा निःशुल्क सेवा संस्थान आदि बनायें।

श्राद्ध-पक्ष में गंगाजी के किनारे पितरों की शांति एवं हवन-यज्ञ करायें।

पिंडदान करायें। ‘गया’ में जाकर पिंडदान करवाने से पितरों को तुरंत शांति मिलती हैं। अर्थात जो पुत्र ‘गया’ में जाकर पिंडदान करता हैं, उसी पुत्र से पिता अपने को पुत्रवान समझता हैं और गया में पिंड देकर पुत्र पितृण से मुक्त हो जाता है।

सर्वश्राप व पितृ दोष मुक्ति के लिये नारायण बली का पाठ, यज्ञ तथा नागबली करायें। पवित्र तीर्थ स्थानों में पिंडदान करें।

कनागत (श्राद्ध पक्ष) में पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन योग्य विद्वान ब्राह्मण से पितृदोष शांति करायें। इस दिन व्रत/उपवास करें तथा ब्राह्मण भोज करायें।
घर में हवन, यज्ञ आदि भी करायें। इसके अलावा, पितरों के लिए जल तर्पण करें।

श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों की पुण्यतिथि अनुसार ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, फल, वस्तु आदि दक्षिणा सहित दान करें। परिवार में होने वाले प्रत्येक शुभ एवं धार्मिक, मांगलिक आयोजनों में पूर्वजों को याद करें तथा क्षमतानुसार भोजन, वस्त्र आदि का दान करें।

सरसों के तेल का दीपक जलाकर, प्रतिदिन सर्पसूक्त एवं नवनाग स्तोत्र का पाठ करें।

सूर्य एवं चंद्र ग्रहण के समय/ दिन सात प्रकार के अनाज से तुला दान करें।

शिवलिंग पर प्रतिदिन दूध चढ़ायें। बिल्वपत्र सहित पंचोपचार पूजा करे।

”ऊँ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का रुद्राक्ष माला से जप करें।

भगवान शिव की अधिक से अधिक पूजा करें। वर्ष में एक बार श्रावण माह व इसके सोमवार, महाशिवरात्रि पर रूद्राभिषेक करायें।

शत्रु नाश के लिये सोमवारी अमावस्या को सरसों के तेल से रूद्राभिषेक करायें। यदि यह सोमवारी अमावस्या श्रावण माह में आये तो ”सोने पर सुहागा” होगा।

नागपंचमी का व्रत करें तथा इस दिन सर्पपूजा करायें। नाग प्रतिमा की अंगूठी धारण करें।

प्रत्येक माह पंचमी तिथि (शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की) को चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को बांधकर शिवलिंग पर चढ़ायें।

कालसर्प योग की शांति यंत्र को प्राण-प्रतिष्ठा द्वारा स्थापित कर प्रतिदिन सरसों के तेल के दीपक के साथ मंत्र – ”ऊँ नवकुल नागाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात् – ”की एक रुद्राक्ष माला जप प्रतिदिन करें।

घर एवं कार्यालय, दुकान पर मोर पंख लगावें।

घर में पूजा स्थल पर पारद शिवलिंग को चांदी या तांबे के पंचमुखी नाग पर प्राण प्रतिष्ठा द्वारा स्थापित कर प्रतिदिन पूजा करें।

ताजी मूली का दान करें। कोयले, बहते जल में प्रवाहित करें। महामृत्युंजय मंत्र का संकल्प लेकर सवा लाख मंत्रों का अनुष्ठान करायें। प्रातः पक्षियों को जौ के दाने खिलायें। जल पिलायें। इसके अलावा उड़द एवं बाजरा भी खिला सकते हैं।

पानी वाला नारियल हर शनिवार प्रातः या सायं बहते जल में प्रवाहित करें।

शिव उपासना एवं रुद्र सूक्त से अभिमंत्रित जल से स्नान करें। यदि संभव हो तो राहु एवं केतु के मंत्रों का क्रमशः 72000 एवं 68000 जप संकल्प लेकर करायें।

सरस्वती माता एवं गणेश भगवान की पूजा करें।

प्रत्येक सोमवार को शिव जी का अभिषेक दही से मंत्र – ”ऊँ हर-हर महादेव” जप के साथ करें।

प्रत्येक पुष्य नक्षत्र को शिवजी एवं गणेशजी पर दूध एवं जल चढ़ावें। रुद्र का जप एवं अभिषेक करें। भांग व बिल्वपत्र चढ़ायें।

गणेशजी को लड्डू का प्रसाद, दूर्वा का लाल पुष्प चढ़ायें।

सरस्वती माता को नीले पुष्प चढ़ायें। गोमेद एवं लहसुनिया लग्नानुसार, यदि सूट करे तो धारण करे।

कुलदेवता/देवी की प्रतिदिन पूजा करे। नाग योनि में पड़े पितरो के उद्धार तथा अपने हित के लिये नागपंचमी के दिन चांदी के नाग की पूजा करे।

हिजड़ों को साल में कम से कम एक बार नये वस्त्र, फल, मिठाई, सुगन्धित सौंदर्य प्रसाधन सामग्री एवं दक्षिणा आदि का सामर्थ्यानुसार दान करें।

यदि दांपत्य जीवन में बाधा आ रही है तो अपने जीवन साथी के साथ नियमित रूप से अर्थात् लगातार 7 शुक्रवार किसी भी देवी के मंदिर में 7 परिक्रमा लगाकर पान के पत्ते पर मिश्री एवं मक्खन का प्रसाद रखें। तथा साथ ही पति एवं पत्नी दोनों ही अलग-अलग सफेद फूलों की माला चढ़ायें तथा सफेद पुष्प चरणों में चढ़ायें।

अष्ट मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

Categories
Tips and Tricks

चौघड़िया

दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।

चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।

शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥

रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।

अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥

अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।

उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।

शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।

लाभ में व्यापार करें ।

रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।

काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।

अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

Categories
Tips and Tricks

Tips for Happy Life

अच्छा दिखने के लिये मत जिओ बल्कि अच्छा बनने के लिए जिओ 💐

जो झुक सकता है वह सारी दुनिया को झुका सकता है 💐

गंगा में डुबकी लगाकर तीर्थ किये हजार,इनसे क्या होगा अगर बदले नहीं विचार 💐

क्रोध हवा का वह झोंका है जो बुद्धि के दीपक को बुझा देता है 💐

अगर बुरी आदत समय पर न बदली जाये तो बुरी आदत समय बदल देती है 💐

हमेशा प्रेम की भाषा बोलिए,इसे बहरे भी सुन सकते हैं और गुंगे भी समझ सकते हैं 💐

चलते रहने से ही सफलता है,रुका हुआ तो पानी भी बेकार हो जाता है 💐

झूठे दिलासे से स्पष्ट इंकार बेहतर है 💐

खुद की भुल स्वीकारने में कभी संकोच मत करो 💐

अच्छी सोच,अच्छी भावना,अच्छा विचार मन को हल्का करता है 💐

मुसीबत सब पर आती है,कोई बिखर जाता है और कोई निखर जाता है 💐

सबसे अधिक समझदार वह है जो अपनी कमियो को जानकर उनका सुधार कर सकता हो 💐

Categories
Tips and Tricks

दान के विषय मे महत्त्वपूर्ण जानकारी – Info on Donation

दान के विषय मे महत्त्वपूर्ण जानकारी
🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸
दान एक ऐसा कर्म है, जो इस धरा पर सारे धर्म के लोग मानते है | विविध धर्मावलम्बी अपने अपने धर्म और मत अनुसार दान करते है, इसका नाम अलग अलग धर्म, जाती, भाषा में अलग अलग है, पर धर्म से साध्य, अपनी अपनी सोंच अनुसार हर मतावलम्बी के लिए एक सामान होता है |

इस कर्म को सनातन धर्म में दान, इस्लाम में जकात और ईसाईयों में चैरिटी कहते है |

छान्दोग्य उपनिषद अनुसार धर्म के तीन घटक है, त्याग, ज्ञानार्जन और दान।

दान

🔸🔹🔸
हमारे वैदिक (सनातन) धर्म में दान की प्रथा वैदिक समय से ही चली आ रही है, रिग वेद में भी दान का उल्लेख मिलता है |

रिग वेद में दान तीन प्रकार के बताये है, १. सात्विक दान, २. राजसी दान और ३. तामसिक दान

सात्विक दान !
🔸🔸🔸🔸
शुभ समय, तीर्थ स्थल और वेदज्ञ को बिना किसी अभिलाषा और आकांक्षा के दिया हुआ दान, सात्विक कहलाता है, समय काल के बदलाव को देखते हुए, वर्तमान में शुभ समय, तीर्थ स्थल , या स्वयं के निवास स्थल पर वेदज्ञ या किसी जरूरतमंद योग्य व्यक्ति को बिना किसी अभिलाषा और आकांक्षा के दिया हुआ दान भी सात्विक कहलाता है |

राजसिक दान !
🔸🔸🔸🔸
किसी कारण, अपनी दुविधाओं को टालने के लिए , कुछ पाने की चाह में किया हुआ दान, या फिर नाम के लिए, या जग दिखावे के लिए किया हुआ दान, चाहे किसी को भी दिया गया हो राजसिक दान की श्रेणी में आता है |

तामसिक दान !
🔹🔹🔹🔹
असमय, अवांछित, अयोग्य को अभद्रता से दिया हुआ दान तामसिक दान कहलाता है |

भगवद्गीता १७ वे अध्याय २८ व श्लोक में भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते है की

बिना श्रद्धा यज्ञ में दी हुई आहुति, या बिना श्रद्धा दीया गया दान, या बिना श्रद्धा लिया गया दान फलित नहीं होते |

तैत्तरीय उपनिषद अनुसार

मन की गहराइयों से प्रफुलीत हो श्रद्धावान होते हुए दान देना चाहिए |

ऐसे तो दान हर वास्तु का हो सकता है, पर हम इन सबको कुछ इस तरह कह सकते है |

१. द्रव्य दान
२. धातु दान
३. भूदान
४. नित्य उपयोग में आने वाली वास्तु का दान
५. गृहस्थ जीवन में काम में आने वाली वस्तुओं का दान ।
६ .अनाज का दान
७. गौ दान
८. अन्न दान
९. अभय / क्षमा दान
१०.जीवन दान
११. कन्या दान
१२. विद्या / ज्ञान दान

दान में त्याग की भावना होती है दान दी हुई वस्तु पर अपना कोई अधिकार नहीं होता, जब कि सौंपी हुई वस्तु पर अपना अधिकार बना रहता है।

ऐसे ही कन्या दान में विवाह के समय पवित्र अग्नि की साक्षी में वर से कन्या की पूर्ण देखभाल का वचन लेकर कन्या का दान करने पर कन्या पर अपना, मातृ परिवार का, अधिकार नहीं रहता पर अपनत्व की भावना, ममत्व का लगाव बना रहता है।

दूसरे दानो में दान लेने वाले और दान देने वाले के दान लेने और देने का बाद कोई सम्बन्ध कोई व्यवहार नहीं रहता।

पर कन्या दान में कन्या दान के पश्चात दोनों परिवारों में और कन्या की अगली दो पीढ़ियों तक सम्बन्ध बना रहता है।

१. द्रव्य दान।
२. धातु दान।
३. भूदान।
४. नित्य उपयोग में आने वाली वास्तु का दान।
५. गृहस्थ जीवन में काम में आने वाली वस्तुओं का दान।
६. अनाज का दान।
७. गौ दान।

इन दानो को अपनी अपनी सामर्थयता अनुसार देना बड़ा आसान और सरल होता है, इस में दान ग्रहण करने वाले को और उसके परिवार को सामयिक तौर पर संतृप्ति मिल सकती है,

८. अन्न दान : इस दान में सिर्फ ग्रहण कर्ता की उस समय की भूख से संतुष्टि मिलती है.

९. अभय / क्षमा दान इस दान में दान ग्रहण कर्ता शांतिपूर्वक बिना किसी भय , संकोच और ग्लानि के जी सकता है. पर यही दान देना सबसे कठिन है, इस दान को देने में कही कोई आर्थिक हानि नहीं, हर कोई देने के काबिल होता है, पर यह दान कोई देता नहीं है.

१०. जीवन दान , यह दान देने का अधिकार हर एक को नहीं, यह दान सर्व जगत नियन्ता भगवान दे सकते है, या राजा , शासक या राष्ट्र अध्यक्ष ही दे सकते है

११. कन्या दान , इस संसार चक्र के चलने के लिए यह दान अति महत्वपूर्ण है, कन्या दान ग्रहण करने वाले के कुल की अभिवृद्धि इस दान के ग्रहण करने से ही होती है, दो कुलों के सम्मान का प्रतिक यह दान है. दान करने वाले माता पिता अपने जिगर के टुकड़े को एक अनजान के हाथ दान में सौपते है,

इस दान को ग्रहण करने वाले के घर की सारि जिम्मेदारी सँभालते हुए दोनों घरों की मान , मर्यादा को संजोए रखती है, इतर धर्मों में कन्यादान की प्रथा नहीं है, अपने अपने याने कन्या को स्वीकार करने वाला और स्वयं कन्या , या उनके अभिभावक या माता पिता के आपसी विचारों के मेल , अनुसार सौपने का रिवाज़ है, जिसकी परिणीति का उल्लेख यहाँ करना उचित नहीं।

१२. विद्या दान / ज्ञान दान: मेरे विचार में सबसे महत्वपूर्ण दान विद्या दान या ज्ञान दान है, इस दान को ग्रहण करने वाला पुरे परिवार का निर्वाह और स्वयं के साथ साथ परिवार के आत्मसम्मान की रक्षा कर सकता है, सिर्फ विद्या और ज्ञान से धर्म, अर्थ , काम और मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है।

इन उपरोक्त विचारो में हो सकता दास के समझने में या प्रकट करने में गलती रह गयी हो, तो सभी से उस त्रुटि को उदारमन से क्षमा करने की प्रार्थना है।

Categories
Tips and Tricks

गृहस्थों के लिए विशेष उपयोगी – Tips for Households

गृहस्थों के लिए विशेष उपयोगी

1 जो केवल अपने लिए ही भोजन बनाता है; जो केवल काम सुख के लिए ही मैथुन करता है; जो केवल आजीविका प्राप्ति के लिए ही पढाई करता है; उसका जीवन निष्फल है (लघुव्यास संहिता)

2 जिस कुल में स्त्री से पति और पति से स्त्री संतुष्ट रहती है; उस कुल में सर्वदा मंगल होता है (मनुस्मृति)

3 राजा प्रजा के; गुरू शिष्य के; पति पत्नी के तथा पिता पुत्र के पुण्य-पाप का छठा अंश प्राप्त कर लेता है (पद्मपुराण)

4 मनुष्य को प्रयत्नपूर्वक स्त्री की रक्षा करनी चाहिएँ! स्त्री की रक्षा होने से सन्तान; आचरण; कुल; आत्मा; औऱ धर्म, इन सबकी रक्षा होती है (मनुस्मृति)

5 पिता की मृत्यु हो जाने पर बड़े भाई को ही पिता के समान समझना चाहिए (गरूड़पुराण)

6 अपने पुत्र से भी बढकर दौहित्र; भानजा व भाई का पालन करना चाहिएं; और अपनी पुत्री से बढकर भाई की स्त्री; पुत्रवधु और बहन का पालन करना चाहिएं (शुक्रनीति)

7 नौकर या पुत्र के सिवाय किसी दूसरे के हाथ से करवाया गया दानादि का छठा अंश दूसरे को मिल जाता है (पद्मपुराण)

8 जो दूसरों की धरोहर हड़प लेते हैं; रत्नादि की चोरी करते हैं; पितरों का श्राद्धकर्म छोड़ देते हैं; उनके वंश की वृद्धि नहीं होती (ब्रह्मपुराण)

9 अष्टमी;चतुर्दशी;अमावस्या;पूर्णिमा और सूर्य की संक्रान्ति —इन दिनों मे स्त्री संग करने वाले को नीच योनि तथा नरकों की प्राप्ति होती है (महाभारत)

10 रजस्वला स्त्री के साथ सहवास करने वाले पुरूष को ब्रह्महत्या लगती है और वह नरकों में जाता है (ब्रह्मवैवर्तपुराण)

11 गृहस्थ को माता-पिता, अतिथि और धनी पुरूष के साथ विवाद नहीं करना चाहिए (गरूड़पुराण)

Categories
Health Tips and Tricks

जिंदगी बचाने के तरीके – Life Saving Hacks

ये संदेश जन उपयोगी है अतः ज्यादा से ज्यादा इसे सांझा करे।

जिंदगी बचाने के तरीके:

  1. गले मे कुछ फस जाए- तब केवल अपनी भुजाओं को ऊपर उठाएं।

न्यू जेर्सी अमेरिका में एक पांच वर्षीय बच्चे ने अपनी बहुत ही चतुराई से अपनी दादी के प्राणों की रक्षा बेहद साधारण तरीके से केवल उनके हाथों को ऊपर उठा कर, बचाये।

उसकी 56 वर्षीय दादी घर पर टेलीविज़न देखते हुए फल खा रही थी।

जब वो अपना सर हिला रही थी तब अचानक एक फल का टुकड़ा उसके गले मे फस गया। उसने अपने सीने को बहुत दबाया पर कुछ भी फायदा नही हुआ।

तब उस बच्चे ने दादी को परेशान देखा तो उसने पूछा कि “दादी माँ क्या आपके गले मे कुछ फस गया है?” वो कुछ भी उत्तर नही दे पाई।

“मुझे लगता है कि आपके गले मे कुछ फस गया है। अपने हाथ ऊपर करो, हाथ ऊपर करो” दादी माँ ने तुरंत अपने हाथ ऊपर कर दिए और वो जल्द ही फसे हुए फल के टुकड़े को गले से बाहर थूकने में कामयाब हो गयी।

उनके पोता बहुत शांत चित्त रहा और उसने बताया कि ये बात उसने अपने विद्यालय में सीखी थी।

  1. सुबह उठते वक्त होने वाले शरीर के दर्द

क्या आपको सुबह उठते वक्त शरीर मे दर्द होता है? क्या आपको सुबह उठते वक्त गर्दन में दर्द और अकड़न महसूस होती है? यदि आपको ये सब होता है तो आप क्या करे?

तब आप अपने पांव ऊपर उठाएं। अपने पांव के अंगूठे को बाहर की तरफ खेचे और धीरे धीरे उसकी मालिश करे और घड़ी की दिशा में एवं घड़ी की विपरीत दिशा में घुमाए।

  1. पांव में आने वाले बॉयटा या ऐठन

यदि आपके बाए पांव में बॉयटा आया है तो अपने दाए हाथ को जितना ऊपर उठा सकते है उठाये।

यदि ये बॉयटा आपके दाए पांव में आया है तो आप अपने बाए हाथ को जितना ऊपर ले जा सकते है ले जाये। इससे आपको तुरंत आराम आएगा।

  1. पांव का सुन्न होना

यदि आपका बाया पांव सुन्न होता है तो अपने दाएं हाथ को जोर से बाहर की ओर झुलाये या झटके दे। यदि आपका दाया पांव सुन्न है तो अपने बाया हाथ को जोर से बाहर की ओर झुलाये या झटका दे।

(तीन बचाव के तरीके)

  1. आधे शरीर मे लकवा
    (इस बात की परवाह किये बिना की ये मस्तिकाघात से है या रक्त वाहिका की रुकावट की वजह से है) आधे चेहरे का लकवा

एक सिलाई की सुई लेकर तुरन्त ही कानों की लोलिका के सबसे नीचे वाले भाग में सुई चुभा कर एक एक बूंद खून निकाले।

इससे रोगी को तुरंत आराम आजायेगा। उस पर से सब पक्षाघात के लक्षण भी मिट जायेगे।

  1. ह्रदय आघात की वजह से हृदय का रुकना

ऐसे व्यक्ति के पांव से जुराबें उतारकर (यदि पहनी है तो) सुई से उसकी दसों पांव की उंगलियों में सुई चुभो कर एक एक बूंद रक्त की निकाले।

इससे रोगी तुरन्त उठ जाएगा।

  1. यदि रोगी को सांस लेने में तकलीफ हो

चाहे ये दमा से हो या ध्वनि तंत्र की सूजन की वजह या और कोई कारण हो, जब तक कि रोगी का चेहरा सांस न ले पाने की वजह से लाल हो उसके नासिका के अग्रभाग पर सुई से छिद्र कर दौ बून्द काला रक्त निकाल दे।

उपरोक्त तीनो तरीको से कोई खतरा नही है और ये तीनों केवल 10 सेकेंड में ही किये जा सकते है।

Categories
Story Tips and Tricks

मंजिल सामने है – Achieve Your Target

एक बार एक सन्यासी संत के आश्रम में एक व्यक्ति आया. वह देखने में बहुत दुखी लग रहा था.

आते ही वह स्वामी जी के चरणों में गिर पड़ा और बोला -“महाराज मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूँ.

मैं अपने दैनिक जीवन में बहुत मेहनत करता हूँ, काफी लगन से काम करता हूँ, लेकिन फिर भी कभी सफल नहीं हो पाया.

मेरे सभी रिश्तेदार मुझ पर हँसते हैं. भगवान ने मुझे ऐसा नसीब क्यों दिया है कि मैं पढ़ा-लिखा और मेहनती होते हुए भी कभी कामयाब नहीं हो पाया ?”

स्वामी जी के पास एक छोटा सा पालतू कुत्ता था. उन्होंने उस व्यक्ति से कहा, “तुम पहले वो सामने दिख रही इमारत तक ज़रा मेरे कुत्ते को सैर करा लाओ, फिर मैं तुम्हारे सवाल का जवाब दूँगा.”

आदमी को यह बात अच्छी तो नहीं लगी परन्तु फिर भी वह कुत्ते को लेकर सैर कराने निकल पड़ा.

जब वह लौटकर आया तो स्वामी जी ने देखा कि आदमी बुरी तरह हाँफ रहा था और थका हुआ सा लग रहा था.

स्वामी जी ने पूछा – “अरे भाई, तुम ज़रा सी दूर में ही इतना ज्यादा कैसे थक गए ?”

आदमी बोला – “मैं तो सीधा सादा अपने रास्ते पर चल रहा था परन्तु ये कुत्ता रास्ते में मिलने वाले हर कुत्ते पर भौंक रहा था और उनके पीछे दौड़ रहा था. इसको पकड़ने के चक्कर में मुझे भी दौड़ना पड़ता था इसलिए ज्यादा थक गया…”

स्वामी जी बोले – “यही तुम्हारे प्रश्नों का भी जवाब है. तुम्हारी मंज़िल तो उस इमारत की तरह सामने ही होती है लेकिन तुम मंज़िल की ओर सीधे जाने की बजाय दूसरे लोगों के पीछे भागते रहते हो और इसीलिए मंज़िल तुमसे दूर ही बनी रहती है.

यदि तुम अपने पड़ोसी और रिश्तेदारों की बातों पर ध्यान न देकर केवल अपनी मंज़िल पर नज़र रखोगे तो कोई कारण नहीं कि वह तुम्हें न मिले.”

आदमी की समझ में बात आ गई थी. उसने स्वामी जी को प्रणाम किया और वहाँ से चल पड़ा।

जय जय श्री राधे

Categories
Astrology Tips and Tricks

मुकदमें में विजय – Win in a Court Case

मुकदमें में विजय पाने के कुछ खास उपाय

जब भी आप अदालत में जाएँ तो किसी भी हनुमान मंदिर में धूप अगरबत्ती जलाकर, लड्डू या गुड चने का भोग लगाकर एक बार हनुमान चालीसा और बजरंग बान का पाठ करके संकटमोचन बजरंग बलि से अपने मुकदमे में सफलता की प्रार्थना करें निसंदेह सफलता प्राप्त होगी ।

आप जब भी अदालत जाएँ तो गहरे रंग के कपड़े ही पहन कर जाएँ ।

अपने अधिवक्ता को उसके काम की कोई भी वास्तु जैसे कलम उपहार में अवश्य ही प्रदान करें ।

अपने कोर्ट के केस की फाइलें घर में बने मंदिर धार्मिक स्थान में रखकर ईश्वर से अपनी सफलता, अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करें ।

यदि ग्यारह हकीक पत्थर लेकर किसी मंदिर में चदा दें और कहें की मैं अमुक कार्य में विजय होना चाहता हूँ तो निश्चय ही उस कार्य में विजय प्राप्त होती है ।

यदि आप पर कोई मुसीबत आन पड़ी हो कोई रास्ता न सूझ रहा हो या आप कोर्ट कचहरी के मामलों में फँस गए हों, आपका धैर्य जबाब देने लगा हो, जीवन केवल संघर्ष ही रह गया हो, अक्सर हर जगह अपमानित ही महसूस करते हों, तो आपको सात मुखी, पंचमुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहियें ।

मुकदमे में विजय हेतु कोर्ट कचहरी में जाने से पहले ५ गोमती चक्र को अपनी जेब में रखकर , जो स्वर चल रहा हो वह पाँव पहले कोर्ट में रखे अगर स्वर ना समझ आ रहा हो तो दाहिना पैर पहले रखे , मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होने की संभावना प्रबल होगी ।

जब आप पहली बार मुकदमें से वापिस आ रहे तो रास्ते में किसी भी मजार में गुलाब का पुष्प अर्पित करते हुए ही अपने निवास पर आएँ ।

मुकदमें अथवा किसी भी प्रकार के वाद विवाद में सफलता हेतु लाल सिंदूरी मूँगा त्रिकोण की आक्रति का सोने या तांबे मिश्रित अंगूठी में बनवाकर उसे दाहिने हाथ के अनामिका उंगली में धारण करें , इससे सफलता की संभावना और अधिक हो जाती है ।

मुकदमें में विजय प्राप्ति हेतु घर के पूजा स्थल में सिद्धि विनायक पिरामिड स्थापित करके प्रत्येक बुधवार को गन गणपतए नमो नमः मंत्र का जाप करें । जब भी अदालत जाएँ इस पिरामिड को लाल कपड़े में लपेटकर अपने साथ ले जाएँ, आपको शीघ्र ही सफलता प्राप्त होगी ।

यदि आपका किसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसमें विजय पाना चाहते हैं तो थोडे से चावल लेकर कोर्ट / कचहरी में जांय और उन चावलों को कचहरी में कहीं पर फेंक दें ! जिस कमरे में आपका मुकदमा चल रहा हो उसके बाहर फेंकें तो ज्यादा अच्छा है ! परंतु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोर्ट में फेंकते समय कोई देखे नहीं वरना लाभ नहीं होगा ! यह उपाय आपको बिना किसी को पता लगे करना होगा ।

अगर आपको किसी दिन कोर्ट कचहरी या किसी भी महत्वपूर्ण काम के लिए जाना हो , तो आप एक कागजी नींबू लेकर उसके चारों कोनो में एक साबुत लौंग गाड़ दें और ईश्वर से अपने कार्यों के सफलता के लिए प्रार्थना करते हुए उसे अपनी जेब में रखकर ही कहीं जाएँ ….उस दिन आपको सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी ।

भोज पत्र पर लाल चन्दन से अपने शत्रु का लिखकर शुद्द शहद में डुबोने से शत्रु के मन में आपके प्रति प्रेम और सहानुभूति के भाव जाग्रत हो जाते है।

सूर्योदय से पूर्व काले चावल के 11 दाने क्रीं बीज मन्त्र का 21 बार उच्चारण करते हुए दक्षिण दिशा में डाल दें शत्रु का व्यवहार आपके प्रति बदलना शुरू हो जायेगा ।

यदि आपको लगता है की आप सही है आपको गलत फंसाया गया है तो आप जब भी अदालत जाएँ लाल कनेर का फूल भिगो कर उसे पीस कर उसका तिलक लगा कर अदालत में जाएँ परिस्थितियाँ आपके अनुकूल होने लगेगी ।

एक मुट्ठी तिल में शक्कर मिलाकर किसी सुनसान जगह में ईश्वर से अपने शत्रु पर विजय की प्रार्थना करते हुए डाल दें फिर वापस आ जाएँ पीछे मुड़ कर न देखे शत्रु पक्ष धीरे धीरे शांत हो जायेगा ।

जिस दिन न्यायालय जाना हो उस दिन तीन साबुत काली मिर्च के दाने थोड़ी सी शक्कर के साथ मुँह में डालकर चबाते हुए जाएँ, न्यायालय में अनुकूलता रहेगी ।

यदि आपके वकील में ही आपके केस में विजय के प्रति संदेह हो, गवाह के मुकरने या आपके विरुद्ध होने का खतरा हो, जज आपके विपरीत हो तो विधि पूर्वक हत्था जोड़ी को अपने साथ ले जाएँ चमत्कारी परिवर्तन महसूस करेंगे ।
संकलित

Categories
Religious Tips and Tricks

ईश्वर आराधना के नियम – Rules for Praying to God

अनेक लोगो को ये शिकायत रहती है कि, हमे तो पुजा पाठ करने का समय ही नही मिलता । बहुत से लोग कहते है कि हमारी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण चाहकर भी पुजा नही कर पाते है।

ऐसे लोगो की परेशानी को ध्यान मे रखकर आज हम पुजा करने के कुछ तरीके बताना चाहते है, जो सबके लिए सरध एवं सुलभ है। जिसे करने मे आपका ना समय लगेगा और ना पैसे ही खर्च होंगे।
वस्तुतः भगवान को किसी वस्तु की आवश्यकता नही, वे तो भाव के भुखे है।आप उन्हे कुछ भी अर्पण करे या न करे, इससे उन्हे कोई फर्क नही पड़ता। सिर्फ आपका भाव समर्पण का होना जरूरी है।

1???? जिनके पास धन एवं समय दोनो का अभाव हो, वैसे लोग हर समय मन मे भगवान के नाम का जप कर सकते है। नाम जप करने के लिए किसी भी नियम की, शुद्धि अशुद्धि की या समय देखने की आवश्कता नही है। यह खाते पीते, सोते उठते, तथा हर काम करते हुए किया जा सकता है। जो पुरूष सब समय भगवान का स्मरण करते रहते है वो संसार सागर से तर जाते है।
( गीता 7/14 )

2???? जिनके पास थोड़ा समय तो है, पर धन का अभाव है। ऐसे लोग शास्त्रो मे वर्णित मानस पुजा कर सकते है। यह पुजा करने मे कुछ नियम का पालन करना होता है पर धन का खर्च बिल्कुल नही है।

मानस पुजा के नियम :-
सुबह मे स्नान आदि करने के बाद किसी शान्त जगह पर आसन लगाकर बैठ जाए और भगवान का ध्यान करें कि, सामने स्वर्ण सिंहासन पर भगवान विराजमान है । और हम उन्हे गंगाजल से, पंचामृत से स्नान करा रहे है। वस्त्राभूषण, चन्दन, पुष्प, धुप दीप, फल, जल, नैवेध आदि अर्पण कर उनकी आरती कर रहे है। इस पुजा के मंत्र भी पुराणो मे वर्णित है।

3???? जो लोग थोड़ा समय और धन खर्च कर सकते है, वो पंचोपचार विधि से पुजा करें । चंदन, फुल, धूप, दीप और नैवेध भगवान को अर्पण करे।

4???? जो लोग संपन्न है उन्हे षोड्सोपचार विधि से भगवान का पुजन करना चाहिए पाध, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, चंदन, फुल, धूप, दीप, नैवेध, आचमन, ताम्बुल, स्तवनपाठ, तर्पण और नमस्कार के द्वारा पुजन करे। संपन्न होते हुए भी गौण उपचारो से पुजा नही करनी चाहिए ।
भगवान का कथन है कि, जो भक्त प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल मुझे अर्पण करता है उसे मै सगुण रूप से प्रगट होकर खाता हुँ । ( गीता 9/26 )

Categories
Tips and Tricks

पीपल द्वारा नवग्रह दोष दूर करने के उपाय – Remove Navgraha Dosha

पीपल द्वारा नवग्रह दोष दूर करने के उपाय वैदिक दृष्टिकोण से

भारतीय संस्कृतिमें पीपल देववृक्ष है, इसके सात्विक प्रभाव के स्पर्श से अन्त: चेतना
पुलकित और प्रफुल्लित होती है।स्कन्द पुराणमें वर्णित है कि अश्वत्थ (पीपल) के मूल
में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं
के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं।पीपल भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:
मूर्तिमान स्वरूप है। भगवानकृष्णकहते हैं- समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ।
स्वयं भगवान ने उससे अपनी उपमा देकर पीपल के देवत्व और दिव्यत्व को व्यक्त
किया है। शास्त्रों में वर्णित है कि पीपल की सविधि पूजा-अर्चना करने से सम्पूर्ण देवता
स्वयं ही पूजित हो जाते हैं।पीपल का वृक्ष लगाने वाले की वंश परम्परा कभी विनष्ट
नहीं होती। पीपल की सेवा करने वाले सद्गति प्राप्त करते हैं।

अश्वत्थ सुमहाभागसुभग प्रियदर्शन।
इष्टकामांश्चमेदेहिशत्रुभ्यस्तुपराभवम्॥

प्रत्येक नक्षत्र वाले दिन भी इसका विशिष्ट गुण भिन्नता लिए हुए होता है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कुल मिला कर 28 नक्षत्रों कि गणना है, तथा प्रचलित
केवल 27 नक्षत्र है उसी के आधार पर प्रत्येक मनुष्य के जन्म के समय नामकरण होता है।
अर्थात मनुष्य का नाम का प्रथम अक्षर किसी ना किसी नक्षत्र के अनुसार ही होता है।
तथा इन नक्षत्रों के स्वामी भी अलग अलग ग्रह होते है।विभिन्न नक्षत्र एवं उनके स्वामी
निम्नानुसार है यहां नक्षत्रों के स्वामियों के नाम कोष्ठक में है जिससे आपको जनलाभार्थ
ज्ञान वृद्धि हो-:-

(१)अश्विनी(केतु), (१०)मघा(केतु), (१९)मूल(केतु),
(२)भरणी(शुक्र), (११)पूर्व फाल्गुनी(शुक्र), (२०)पूर्वाषाढा(शुक्र),
(३)कृतिका(सूर्य), (१२)उत्तराफाल्गुनी(सूर्य), (२१)उत्तराषाढा(सूर्य),
(४)रोहिणी(चन्द्र), (१३)हस्त(चन्द्र), (२२)श्रवण(चन्द्र),
(५)मृगशिर(मंगल), (१४)चित्रा(मंगल), (२३)धनिष्ठा(मंगल),
(६)आर्द्रा(राहू), (१५)स्वाति(राहू), (२४)शतभिषा(राहू),
(७)पुनर्वसु(वृहस्पति), (१६)विशाखा(वृहस्पति), (२५)पूर्वाभाद्रपद(वृहस्पति),
(८)पुष्य(शनि), (१७)अनुराधा(शनि), (२६)उत्तराभाद्रपद(शनि)
(९)आश्लेषा(बुध), (१८)ज्येष्ठा(बुध), (२७)रेवती(बुध)

ज्योतिष शास्त्र अनुसार प्रत्येक ग्रह 3, 3 नक्षत्रों के स्वामी होते है।
कोई भी व्यक्ति जिस भी नक्षत्र में जन्मा हो वह उसके स्वामी ग्रह से सम्बंधित दिव्य
पीपल के प्रयोगों को करके लाभ प्राप्त कर सकता है।
अपने जन्म नक्षत्र के बारे में अपनी जन्मकुंडली को देखें या अपनी जन्मतिथि और
समय व् जन्म स्थान लिखकर भेजे,या अपने विद्वान ज्योतिषी से संपर्क कर जन्म का
नक्षत्र ज्ञात कर के यह सर्व सिद्ध प्रयोग करके लाभ उठा सकते है।

सूर्य

〰️????〰️
जिन नक्षत्रों के स्वामी भगवान सूर्य देव है, उन व्यक्तियों के लिए निम्न प्रयोग है।
(अ) रविवार के दिन प्रातःकाल पीपल वृक्ष की 5 परिक्रमा करें।
(आ) व्यक्ति का जन्म जिस नक्षत्र में हुआ हो उस दिन (जो कि प्रत्येक माह में अवश्य
आता है) भी पीपल वृक्ष की 5 परिक्रमा अनिवार्य करें।
(इ) पानी में कच्चा दूध मिला कर पीपल पर अर्पण करें।
(ई) रविवार और अपने नक्षत्र वाले दिन 5 पुष्प अवश्य चढ़ाए। साथ ही अपनी कामना
की प्रार्थना भी अवश्य करे तो जीवन की समस्त बाधाए दूर होने लगेंगी।

चन्द्र

〰️????〰️
जिन नक्षत्रों के स्वामी भगवान चन्द्र देव है, उन व्यक्तियों के लिए निम्न प्रयोग है।
(अ) प्रति सोमवार तथा जिस दिन जन्म नक्षत्र हो उस दिन पीपल वृक्ष को सफेद
पुष्प अर्पण करें लेकिन पहले 4 परिक्रमा पीपल की अवश्य करें।
(आ) पीपल वृक्ष की कुछ सुखी टहनियों को स्नान के जल में कुछ समय तक रख
कर फिर उस जल से स्नान करना चाहिए।
(इ) पीपल का एक पत्ता सोमवार को और एक पत्ता जन्म नक्षत्र वाले दिन तोड़ कर
उसे अपने कार्य स्थल पर रखने से सफलता प्राप्त होती है और धन लाभ के मार्ग
प्रशस्त होने लगते है।
(ई) पीपल वृक्ष के नीचे प्रति सोमवार कपूर मिलकर घी का दीपक लगाना चाहिए।

मंगल

〰️????〰️
जिन नक्षत्रो के स्वामी मंगल है. उन नक्षत्रों के व्यक्तियों के लिए निम्न प्रयोग है….
(अ) जन्म नक्षत्र वाले दिन और प्रति मंगलवार को एक ताम्बे के लोटे में जल लेकर
पीपल वृक्ष को अर्पित करें।
(आ) लाल रंग के पुष्प प्रति मंगलवार प्रातःकाल पीपल देव को अर्पण करें।
(इ) मंगलवार तथा जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल वृक्ष की 8 परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए।
(ई) पीपल की लाल कोपल को (नवीन लाल पत्ते को) जन्म नक्षत्र के दिन स्नान के
जल में डाल कर उस जल से स्नान करें।
(उ) जन्म नक्षत्र के दिन किसी मार्ग के किनारे १ अथवा 8 पीपल के वृक्ष रोपण करें।
(ऊ) पीपल के वृक्ष के नीचे मंगलवार प्रातः कुछ शक्कर डाले।
(ए) प्रति मंगलवार और अपने जन्म नक्षत्र वाले दिन अलसी के तेल का दीपक पीपल
के वृक्ष के नीचे लगाना चाहिए।

बुध

〰️????〰️
जिन नक्षत्रों के स्वामी बुध ग्रह है, उन नक्षत्रों से सम्बंधित व्यक्तियों को निम्न प्रयोग
करने चाहिए।
(अ) किसी खेत में जंहा पीपल का वृक्ष हो वहां नक्षत्र वाले दिन जा कर, पीपल के
नीचे स्नान करना चाहिए।
(आ) पीपल के तीन हरे पत्तों को जन्म नक्षत्र वाले दिन और बुधवार को स्नान के
जल में डाल कर उस जल से स्नान करना चाहिए।
(इ) पीपल वृक्ष की प्रति बुधवार और नक्षत्र वाले दिन 6 परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए।
(ई) पीपल वृक्ष के नीचे बुधवार और जन्म, नक्षत्र वाले दिन चमेली के तेल का दीपक
लगाना चाहिए।
(उ) बुधवार को चमेली का थोड़ा सा इत्र पीपल पर अवश्य लगाना चाहिए अत्यंत
लाभ होता है।

वृहस्पति


〰️????〰️
जिन नक्षत्रो के स्वामी वृहस्पति है. उन नक्षत्रों से सम्बंधित व्यक्तियों को निम्न प्रयोग
करने चाहियें।(अ) पीपल वृक्ष को वृहस्पतिवार के दिन और अपने जन्म नक्षत्र वाले दिन पीले पुष्प
अर्पण करने चाहिए।
(आ) पिसी हल्दी जल में मिलाकर वृहस्पतिवार और अपने जन्म नक्षत्र वाले दिन
पीपल वृक्ष पर अर्पण करें।
(इ) पीपल के वृक्ष के नीचे इसी दिन थोड़ा सा मावा शक्कर मिलाकर डालना या
कोई भी मिठाई पीपल पर अर्पित करें।
(ई) पीपल के पत्ते को स्नान के जल में डालकर उस जल से स्नान करें।
(उ) पीपल के नीचे उपरोक्त दिनों में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

शुक्र

〰️????〰️
जिन नक्षत्रो के स्वामी शुक्र है. उन नक्षत्रों से सम्बंधित व्यक्तियों को निम्न प्रयोग
करने चाहियें-:-
(अ) जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल वृक्ष के नीचे बैठ कर स्नान करना।
(आ) जन्म नक्षत्र वाले दिन और शुक्रवार को पीपल पर दूध चढाना।
(इ) प्रत्येक शुक्रवार प्रातः पीपल की 7 परिक्रमा करना।
(ई) पीपल के नीचे जन्म नक्षत्र वाले दिन थोड़ासा कपूर जलाना।
(उ) पीपल पर जन्म नक्षत्र वाले दिन 7 सफेद पुष्प अर्पित करना।
(ऊ) प्रति शुक्रवार पीपल के नीचे आटे की पंजीरी सालना।

शनि

〰️????〰️
जिन नक्षत्रों के स्वामी शनि है. उस नक्षत्रों से सम्बंधित व्यक्तियों को निम्न प्रयोग करने चाहिए..
(अ) शनिवार के दिन पीपल पर थोड़ा सा सरसों का तेल चडाना।
(आ) शनिवार के दिन पीपल के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाना।
(इ) शनिवार के दिन और जन्म नक्षत्र के दिन पीपल को स्पर्श करते हुए उसकी
एक परिक्रमा करना।
(ई) जन्म नक्षत्र के दिन पीपल की एक कोपल चबाना।
(उ) पीपल वृक्ष के नीचे कोई भी पुष्प अर्पण करना।
(ऊ) पीपल के वृक्ष पर मोलि बंधन।

राहू

〰️????〰️
जिन नक्षत्रों के स्वामी राहू है उन नक्षत्रों से सम्बंधित व्यक्तियों को निम्न प्रयोग करने चाहिए…
(अ) जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल वृक्ष की 21 परिक्रमा करना।
(आ) शनिवार वाले दिन पीपल पर शहद चडाना।
(इ) पीपल पर लाल पुष्प जन्म नक्षत्र वाले दिन चडाना।
(ई) जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल के नीचे गौमूत्र मिले हुए जल से स्नान करना।
(उ) पीपल के नीचे किसी गरीब को मीठा भोजन दान करना।

केतु

〰️????〰️
जिन नक्षत्रों के स्वामी केतु है, उन नक्षत्रों से सम्बंधित व्यक्तियों को निम्न उपाय
कर अपने जीवन को सुखमय बनाना चाहिए।
(अ) पीपल वृक्ष पर प्रत्येक शनिवार मोतीचूर का एक लड्डू या इमरती चडाना।
(आ) पीपल पर प्रति शनिवार गंगाजल मिश्रित जल अर्पित करना।
(इ) पीपल पर तिल मिश्रित जल जन्म नक्षत्र वाले दिन अर्पित करना।
(ई) पीपल पर प्रत्येक शनिवार सरसों का तेल चडाना।
(उ) जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल की एक परिक्रमा करना।
(ऊ) जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल की थोडीसी जटा लाकर उसे धूप दीप दिखा कर
अपने पास सुरक्षित रखना।

अथर्ववेद के उपवेद आयुर्वेद में पीपल

के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। पीपल के वृक्ष के नीचे
मंत्र, जप और ध्यान तथा सभी प्रकार के संस्कारों को शुभ माना गया है। श्रीमद्भागवत्
में वर्णित है कि द्वापर युग में परमधाम जाने से पूर्व योगेश्वर श्रीकृष्ण इस दिव्य पीपल
वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान में लीन हुए। यज्ञ में प्रयुक्त किए जाने वाले ‘उपभृत पात्र’
(दूर्वी, स्त्रुआ आदि) पीपल-काष्ट से ही बनाए जाते हैं। पवित्रता की दृष्टि से यज्ञ में
उपयोग की जाने वाली समिधाएं भी आम या पीपल की ही होती हैं। यज्ञ में अग्नि
स्थापना के लिए ऋषिगण पीपल के काष्ठ और शमी की लकड़ी की रगड़ से अग्नि
प्रज्वलित किया करते थे।ग्रामीण संस्कृति में आज भी लोग पीपल की नयी कोपलों
में निहित जीवनदायी गुणों का सेवन कर उम्र के अंतिम पडाव में भी सेहतमंद बने रहते हैं।

आयु: प्रजांधनंधान्यंसौभाग्यंसर्व संपदं।
देहिदेवि महावृक्षत्वामहंशरणंगत:॥

Exit mobile version