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शरद पूर्णिमा

वर्ष के बारह महीनों में शरद पूर्णिमा ऐसी पूर्णिमा है, जो तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, और धन की देवी महालक्ष्मी रात को यह देखने के लिए निकलती हैं कि कौन जाग रहा है और अपने कर्मनिष्ठ भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करती हैं।

कोजागरी पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा का एक नाम कोजागरी पूर्णिमा भी है, यानी लक्ष्मी जी पूछती हैं – “कौन जाग रहा है?” अश्विन महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में होता है, इसलिए इस महीने का नाम अश्विन पड़ा है।

चंद्रमा की विशेषताएँ

एक महीने में चंद्रमा जिन 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है, उनमें अश्विनी नक्षत्र सबसे पहला है, और इसकी पूर्णिमा आरोग्य देती है। केवल शरद पूर्णिमा को ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट होता है। चंद्रमा की किरणों से इस दिन अमृत बरसता है।

आयुर्वेद और शरद पूर्णिमा

आयुर्वेदाचार्य वर्ष भर इस पूर्णिमा की प्रतीक्षा करते हैं। जीवनदायिनी रोगनाशक जड़ी-बूटियों को शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखा जाता है। अमृत से नहाई इन जड़ी-बूटियों से बनी दवाइयाँ रोगी पर तुरंत असर करती हैं।

चंद्रमा और मन

चंद्रमा को वेद-पुराणों में मन के समान माना गया है – चंद्रमा मनसो जातः। वायु पुराण में चंद्रमा को जल का कारक बताया गया है। प्राचीन ग्रंथों में चंद्रमा को औषधीश यानी औषधियों का स्वामी कहा गया है।

शरद पूर्णिमा की खीर

शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में रखी खीर खाने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं। ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन, और भाद्रपद मास में शरीर में पित्त का संचय हो जाता है, जो शरद पूर्णिमा की शीतल धवल चांदनी में रखी खीर से बाहर निकलता है।

यह खीर एक विशेष विधि से बनाई जाती है। पूरी रात चांदनी में रखने के बाद सुबह खाली पेट इसे खाने से सभी रोग दूर होते हैं, और शरीर निरोगी होता है।

रास पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण से भी यह पूर्णिमा जुड़ी है। इस रात को श्रीकृष्ण अपनी राधा रानी और अन्य सखियों के साथ महारास रचाते हैं। कहते हैं, जब वृन्दावन में भगवान कृष्ण महारास रचा रहे थे तो चंद्रमा आसमान से सब देख रहा था और वह इतना भाव-विभोर हुआ कि उसने अपनी शीतलता के साथ पृथ्वी पर अमृत की वर्षा आरंभ कर दी।

उत्सव और परंपराएँ

गुजरात में शरद पूर्णिमा को लोग रास रचाते हैं और गरबा खेलते हैं। मणिपुर में भी श्रीकृष्ण भक्त रास रचाते हैं। पश्चिम बंगाल और ओडिशा में शरद पूर्णिमा की रात को महालक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा को जो महालक्ष्मी का पूजन करते हैं और रात भर जागते हैं, उनकी सभी कामनाएँ पूरी होती हैं।

कुमार पूर्णिमा

ओडिशा में शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। आदिदेव महादेव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म इसी पूर्णिमा को हुआ था। गौर वर्ण, आकर्षक, सुंदर कार्तिकेय की पूजा कुंवारी लड़कियां उनके जैसा पति पाने के लिए करती हैं।

ऋतु परिवर्तन और कार्तिक स्नान

शरद पूर्णिमा ऐसे महीने में आती है जब वर्षा ऋतु अंतिम समय पर होती है। शरद ऋतु अपने बाल्यकाल में होती है और हेमंत ऋतु आरंभ हो चुकी होती है। इसी पूर्णिमा से कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है।


शरद पूर्णिमा की महिमा अनंत है और इसकी धार्मिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य संबंधी महत्ता अद्वितीय है। यह पूर्णिमा हमें तन, मन और धन की समृद्धि का संदेश देती है और हमें अपने जीवन को शुद्ध और पवित्र बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है।

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Tips and Tricks Astrology

पितृ दोष दूर करने के उपाय

प्रातः सूर्य नमस्कार करें एवं सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल का अर्घ्य दें। ।

पूर्णिमा को चांदी के लोटे से दूध का अर्घ्य चंद्र देव को दें, व्रत भी करें।

बुजुर्गों या वरिष्ठों के चरण छू कर आशीर्वाद लें।

‘पितृ दोष शांति’ यंत्र को अपने पूजन स्थल पर प्राण प्रतिष्ठा द्वारा स्थापित कर, प्रतिदिन इसके स्तोत्र एवं मंत्र का जप करें।

पितृ गायत्री मंत्र द्वारा सवा लाख मंत्रों का अनुष्ठान अर्थात् जप, हवन, तर्पण आदि संकल्प लेकर विधि विधान सहित करायें।

अमावस्या का व्रत करें तथा ब्राह्मण भोज, दान आदि कराने से पितृ शांति मिलती है।

अपने घर में पितरों के लिये एक स्थान अवश्य बनायें तथा प्रत्येक शुभ कार्य के समय अपने पित्तरों को स्मरण करें। उनके स्थान पर दीपक जलाकर, भोग लगावें। ऐसा प्रत्येक त्योहार (उत्सव/पर्व) तथा पूर्वजों की मृत्यु तिथि के दिन करें। उपरोक्त पूजा स्थल घर की दक्षिण दिशा की तरफ करें तथा वहां पूर्वजों की फोटो-तस्वीर लगायें।

दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके कभी न सोयें।

अमावस्या को विभिन्न वस्तुओं जैसे – सफेद वस्त्र, मूली, रेवड़ी, दही व दक्षिणा आदि का दान करें।

प्रत्येक अमावस्या को श्री सत्यनारायण भगवान की कथा करायें और श्रवण करें।

विष्णु मंत्रों का जाप करें तथा श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करें। विशेषकर ये श्राद्ध पक्ष में करायें।

एकादशी व्रत तथा उद्यापन करें।

पितरों के नाम से मंदिर, धर्मस्थल, विद्यालय, धर्मशाला, चिकित्सालय तथा निःशुल्क सेवा संस्थान आदि बनायें।

श्राद्ध-पक्ष में गंगाजी के किनारे पितरों की शांति एवं हवन-यज्ञ करायें।

पिंडदान करायें। ‘गया’ में जाकर पिंडदान करवाने से पितरों को तुरंत शांति मिलती हैं। अर्थात जो पुत्र ‘गया’ में जाकर पिंडदान करता हैं, उसी पुत्र से पिता अपने को पुत्रवान समझता हैं और गया में पिंड देकर पुत्र पितृण से मुक्त हो जाता है।

सर्वश्राप व पितृ दोष मुक्ति के लिये नारायण बली का पाठ, यज्ञ तथा नागबली करायें। पवित्र तीर्थ स्थानों में पिंडदान करें।

कनागत (श्राद्ध पक्ष) में पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन योग्य विद्वान ब्राह्मण से पितृदोष शांति करायें। इस दिन व्रत/उपवास करें तथा ब्राह्मण भोज करायें।
घर में हवन, यज्ञ आदि भी करायें। इसके अलावा, पितरों के लिए जल तर्पण करें।

श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों की पुण्यतिथि अनुसार ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, फल, वस्तु आदि दक्षिणा सहित दान करें। परिवार में होने वाले प्रत्येक शुभ एवं धार्मिक, मांगलिक आयोजनों में पूर्वजों को याद करें तथा क्षमतानुसार भोजन, वस्त्र आदि का दान करें।

सरसों के तेल का दीपक जलाकर, प्रतिदिन सर्पसूक्त एवं नवनाग स्तोत्र का पाठ करें।

सूर्य एवं चंद्र ग्रहण के समय/ दिन सात प्रकार के अनाज से तुला दान करें।

शिवलिंग पर प्रतिदिन दूध चढ़ायें। बिल्वपत्र सहित पंचोपचार पूजा करे।

”ऊँ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का रुद्राक्ष माला से जप करें।

भगवान शिव की अधिक से अधिक पूजा करें। वर्ष में एक बार श्रावण माह व इसके सोमवार, महाशिवरात्रि पर रूद्राभिषेक करायें।

शत्रु नाश के लिये सोमवारी अमावस्या को सरसों के तेल से रूद्राभिषेक करायें। यदि यह सोमवारी अमावस्या श्रावण माह में आये तो ”सोने पर सुहागा” होगा।

नागपंचमी का व्रत करें तथा इस दिन सर्पपूजा करायें। नाग प्रतिमा की अंगूठी धारण करें।

प्रत्येक माह पंचमी तिथि (शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की) को चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को बांधकर शिवलिंग पर चढ़ायें।

कालसर्प योग की शांति यंत्र को प्राण-प्रतिष्ठा द्वारा स्थापित कर प्रतिदिन सरसों के तेल के दीपक के साथ मंत्र – ”ऊँ नवकुल नागाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात् – ”की एक रुद्राक्ष माला जप प्रतिदिन करें।

घर एवं कार्यालय, दुकान पर मोर पंख लगावें।

घर में पूजा स्थल पर पारद शिवलिंग को चांदी या तांबे के पंचमुखी नाग पर प्राण प्रतिष्ठा द्वारा स्थापित कर प्रतिदिन पूजा करें।

ताजी मूली का दान करें। कोयले, बहते जल में प्रवाहित करें। महामृत्युंजय मंत्र का संकल्प लेकर सवा लाख मंत्रों का अनुष्ठान करायें। प्रातः पक्षियों को जौ के दाने खिलायें। जल पिलायें। इसके अलावा उड़द एवं बाजरा भी खिला सकते हैं।

पानी वाला नारियल हर शनिवार प्रातः या सायं बहते जल में प्रवाहित करें।

शिव उपासना एवं रुद्र सूक्त से अभिमंत्रित जल से स्नान करें। यदि संभव हो तो राहु एवं केतु के मंत्रों का क्रमशः 72000 एवं 68000 जप संकल्प लेकर करायें।

सरस्वती माता एवं गणेश भगवान की पूजा करें।

प्रत्येक सोमवार को शिव जी का अभिषेक दही से मंत्र – ”ऊँ हर-हर महादेव” जप के साथ करें।

प्रत्येक पुष्य नक्षत्र को शिवजी एवं गणेशजी पर दूध एवं जल चढ़ावें। रुद्र का जप एवं अभिषेक करें। भांग व बिल्वपत्र चढ़ायें।

गणेशजी को लड्डू का प्रसाद, दूर्वा का लाल पुष्प चढ़ायें।

सरस्वती माता को नीले पुष्प चढ़ायें। गोमेद एवं लहसुनिया लग्नानुसार, यदि सूट करे तो धारण करे।

कुलदेवता/देवी की प्रतिदिन पूजा करे। नाग योनि में पड़े पितरो के उद्धार तथा अपने हित के लिये नागपंचमी के दिन चांदी के नाग की पूजा करे।

हिजड़ों को साल में कम से कम एक बार नये वस्त्र, फल, मिठाई, सुगन्धित सौंदर्य प्रसाधन सामग्री एवं दक्षिणा आदि का सामर्थ्यानुसार दान करें।

यदि दांपत्य जीवन में बाधा आ रही है तो अपने जीवन साथी के साथ नियमित रूप से अर्थात् लगातार 7 शुक्रवार किसी भी देवी के मंदिर में 7 परिक्रमा लगाकर पान के पत्ते पर मिश्री एवं मक्खन का प्रसाद रखें। तथा साथ ही पति एवं पत्नी दोनों ही अलग-अलग सफेद फूलों की माला चढ़ायें तथा सफेद पुष्प चरणों में चढ़ायें।

अष्ट मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

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मुकदमें में विजय – Win in a Court Case

मुकदमें में विजय पाने के कुछ खास उपाय

जब भी आप अदालत में जाएँ तो किसी भी हनुमान मंदिर में धूप अगरबत्ती जलाकर, लड्डू या गुड चने का भोग लगाकर एक बार हनुमान चालीसा और बजरंग बान का पाठ करके संकटमोचन बजरंग बलि से अपने मुकदमे में सफलता की प्रार्थना करें निसंदेह सफलता प्राप्त होगी ।

आप जब भी अदालत जाएँ तो गहरे रंग के कपड़े ही पहन कर जाएँ ।

अपने अधिवक्ता को उसके काम की कोई भी वास्तु जैसे कलम उपहार में अवश्य ही प्रदान करें ।

अपने कोर्ट के केस की फाइलें घर में बने मंदिर धार्मिक स्थान में रखकर ईश्वर से अपनी सफलता, अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करें ।

यदि ग्यारह हकीक पत्थर लेकर किसी मंदिर में चदा दें और कहें की मैं अमुक कार्य में विजय होना चाहता हूँ तो निश्चय ही उस कार्य में विजय प्राप्त होती है ।

यदि आप पर कोई मुसीबत आन पड़ी हो कोई रास्ता न सूझ रहा हो या आप कोर्ट कचहरी के मामलों में फँस गए हों, आपका धैर्य जबाब देने लगा हो, जीवन केवल संघर्ष ही रह गया हो, अक्सर हर जगह अपमानित ही महसूस करते हों, तो आपको सात मुखी, पंचमुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहियें ।

मुकदमे में विजय हेतु कोर्ट कचहरी में जाने से पहले ५ गोमती चक्र को अपनी जेब में रखकर , जो स्वर चल रहा हो वह पाँव पहले कोर्ट में रखे अगर स्वर ना समझ आ रहा हो तो दाहिना पैर पहले रखे , मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होने की संभावना प्रबल होगी ।

जब आप पहली बार मुकदमें से वापिस आ रहे तो रास्ते में किसी भी मजार में गुलाब का पुष्प अर्पित करते हुए ही अपने निवास पर आएँ ।

मुकदमें अथवा किसी भी प्रकार के वाद विवाद में सफलता हेतु लाल सिंदूरी मूँगा त्रिकोण की आक्रति का सोने या तांबे मिश्रित अंगूठी में बनवाकर उसे दाहिने हाथ के अनामिका उंगली में धारण करें , इससे सफलता की संभावना और अधिक हो जाती है ।

मुकदमें में विजय प्राप्ति हेतु घर के पूजा स्थल में सिद्धि विनायक पिरामिड स्थापित करके प्रत्येक बुधवार को गन गणपतए नमो नमः मंत्र का जाप करें । जब भी अदालत जाएँ इस पिरामिड को लाल कपड़े में लपेटकर अपने साथ ले जाएँ, आपको शीघ्र ही सफलता प्राप्त होगी ।

यदि आपका किसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसमें विजय पाना चाहते हैं तो थोडे से चावल लेकर कोर्ट / कचहरी में जांय और उन चावलों को कचहरी में कहीं पर फेंक दें ! जिस कमरे में आपका मुकदमा चल रहा हो उसके बाहर फेंकें तो ज्यादा अच्छा है ! परंतु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोर्ट में फेंकते समय कोई देखे नहीं वरना लाभ नहीं होगा ! यह उपाय आपको बिना किसी को पता लगे करना होगा ।

अगर आपको किसी दिन कोर्ट कचहरी या किसी भी महत्वपूर्ण काम के लिए जाना हो , तो आप एक कागजी नींबू लेकर उसके चारों कोनो में एक साबुत लौंग गाड़ दें और ईश्वर से अपने कार्यों के सफलता के लिए प्रार्थना करते हुए उसे अपनी जेब में रखकर ही कहीं जाएँ ….उस दिन आपको सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी ।

भोज पत्र पर लाल चन्दन से अपने शत्रु का लिखकर शुद्द शहद में डुबोने से शत्रु के मन में आपके प्रति प्रेम और सहानुभूति के भाव जाग्रत हो जाते है।

सूर्योदय से पूर्व काले चावल के 11 दाने क्रीं बीज मन्त्र का 21 बार उच्चारण करते हुए दक्षिण दिशा में डाल दें शत्रु का व्यवहार आपके प्रति बदलना शुरू हो जायेगा ।

यदि आपको लगता है की आप सही है आपको गलत फंसाया गया है तो आप जब भी अदालत जाएँ लाल कनेर का फूल भिगो कर उसे पीस कर उसका तिलक लगा कर अदालत में जाएँ परिस्थितियाँ आपके अनुकूल होने लगेगी ।

एक मुट्ठी तिल में शक्कर मिलाकर किसी सुनसान जगह में ईश्वर से अपने शत्रु पर विजय की प्रार्थना करते हुए डाल दें फिर वापस आ जाएँ पीछे मुड़ कर न देखे शत्रु पक्ष धीरे धीरे शांत हो जायेगा ।

जिस दिन न्यायालय जाना हो उस दिन तीन साबुत काली मिर्च के दाने थोड़ी सी शक्कर के साथ मुँह में डालकर चबाते हुए जाएँ, न्यायालय में अनुकूलता रहेगी ।

यदि आपके वकील में ही आपके केस में विजय के प्रति संदेह हो, गवाह के मुकरने या आपके विरुद्ध होने का खतरा हो, जज आपके विपरीत हो तो विधि पूर्वक हत्था जोड़ी को अपने साथ ले जाएँ चमत्कारी परिवर्तन महसूस करेंगे ।
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सूर्य गोचर – Effect of Sun

धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों ही दृष्टि से सूर्य का हमेशा से ही विशेष महत्व रहा है। वेदों में भी सूर्य को जगत की आत्मा से सम्मानित किया गया है। क्योंकि सूर्य ही अकेला सृष्टि को चलाने वाले एक मात्र प्रत्यक्ष देवता हैं।

ज्योतिष शास्त्र की माने तो सूर्य आत्मा, पिता, पूर्वज, सम्मान और उच्च सरकारी सेवा का कारक होता है। जिसके चलते व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की शुभ स्थिति मनुष्य को मान-सम्मान और सरकारी सेवा में उच्च पद की प्राप्ति कराती है।

वहीं यदि किसी कुंडली में सूर्य कमजोर हो तो व्यक्ति को नेत्र संबंधी पीड़ा, पिता को कष्ट और कुंडली में पितृ दोष झेलना पड़ता है।

सूर्य गोचर का समय

इस वर्ष 14 जनवरी सोमवार सायं काल 7:44:29 बजे सूर्य मकर राशि में गोचर करेगा। सूर्य के मकर राशि में इस समय प्रवेश करने पर देशभर में मकर संक्रांति, पोंगल और उत्तरायण पर्व 15 जनवरी 2019 को मनाये जायेंगे। मान्यता है कि इस दिन स्नान, दान और धर्म का बड़ा महत्व होता है। एक महीने की इस अवधि के बाद 14 फरवरी को सूर्य मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। इसलिए इसका प्रभाव हर राशि पर अलग-अलग देखने को मिलेगा।

तो आईये अब जानते हैं सूर्य के मकर राशि में गोचर का समस्त राशियों पर क्या प्रभाव होगा?

यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है।

मेष

सूर्य आपके पंचम भाव का स्वामी है और इसका गोचर आपके दशम भाव में होगा। सूर्य का यह गोचर आपके लिए काफी अच्छा रहेगा। इस दौरान आपको कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। यदि आप नौकरी करते हैं तो आपको मेहनत का अच्छा फल मिलेगा।

वृषभ

सूर्य आपके चतुर्थ भाव का स्वामी हैं और इस का गोचर आपके नवम भाव में होगा। इस दौरान आपके पिताजी का स्वास्थ्य कुछ कमजोर रह सकता है अथवा आप से उनका मतभेद होने की भी संभावना है। इस दौरान आपकी आमदनी में भी असर पड़ेगा।

मिथुन

सूर्य आपके तृतीय भाव का स्वामी होकर आपके अष्टम भाव में गोचर करेगा। इस दौरान आपके पुराने राज खुलकर सामने आ सकते हैं। यदि पूर्व में आपने कोई विधि के विरुद्ध कार्य किया है तो आपको न्यायालय का सामना करना पड़ सकता है।

कर्क

सूर्य आपके द्वितीय भाव का स्वामी है और सूर्य का गोचर आपके सप्तम भाव में होगा। इस दौरान आपके दांपत्य जीवन में परेशानी आ सकती हैं और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य भी पीड़ित हो सकता है।

सिंह

सूर्य आपकी राशि का स्वामी है और गोचर की अवधि में सूर्य आपके षष्ठम भाव में होगा। सूर्य के गोचर की यह अवधि आपके लिए बेहतरीन सिद्ध होगी। सरकारी नौकरी हेतु प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोगों को शुभ फल देने वाला होगा।

कन्या

सूर्य आपके द्वादश भाव का स्वामी है और सूर्य का गोचर आपके पंचम भाव में होगा। इस दौरान आपके मन में व्याकुलता बनी रहेगी। आपको अपने मित्रों से किसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

तुला

सूर्य आपके एकादश भाव का स्वामी होकर गोचर के दौरान आपके चतुर्थ भाव में विराजमान होगा। इस गोचर अवधि के समय आपके पारिवारिक जीवन में कुछ शांति का वातावरण रहेगा। आपकी माताजी का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।

वृश्चिक

सूर्य आपके दशम भाव का स्वामी है और गोचर की अवधि में सूर्य आपके तृतीय भाव में स्थित होगा। इस दौरान आपको स्वास्थ्य लाभ होगा और आपको अपने प्रयासों के उचित परिणाम प्राप्त होंगे।

धनु

सूर्य आपके नवम भाव का स्वामी है। सूर्य का गोचर आपके द्वितीय भाव में होगा। इस गोचर की अवधि में आपको अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना होगा क्योंकि उसमें कर्कशता बढ़ने के कारण आपको परेशानी हो सकती है।

मकर

सूर्य आपके अष्टम भाव का स्वामी होकर आपकी ही राशि में गोचर के दौरान प्रवेश करेगा, इसलिए इस गोचर का विशेष रूप से प्रभाव आपके ऊपर पड़ेगा। इस गोचर के दौरान आप को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।

कुंभ

सूर्य आपके सप्तम भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान सूर्य आपके द्वादश भाव में प्रवेश करेगा। इस दौरान आप विदेश यात्रा पर जा सकते हैं। कुछ समय के लिए संभव है कि आपको अपने परिजनों से दूर जाना पड़े।

मीन

सूर्य आपके षष्ठम भाव का स्वामी होकर गोचर के दौरान आपके एकादश भाव में प्रवेश करेगा। गोचर की इस अवधि में आपके लिए विभिन्न प्रकार के लाभ के मार्ग खुलेंगे। वरिष्ठ अधिकारी आपके पक्ष में रहेंगे।

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