नव दुर्गाओं की नव रात्रियों में हम हर साल पूजा करते हैं। कहते हैं कि वे अनेकों ऋद्धि-सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। सुख सुविधाओं की उपलब्धि के लिए, उनकी कृपा और सहायता करने के लिए विविध विधि साधन पूजन किये जाते हैं। जिस प्रकार देवलोक में निवासिनी नवदुर्गाऐं हैं उसी प्रकार भू-लोक में निवास करने वाली, हमारे अत्यन्त समीप-शरीर और मस्तिष्क में ही रहने वाली—नौ प्रत्यक्ष देवियाँ भी हैं और उनकी साधना का प्रत्यक्ष परिणाम भी मिलता है।
देव-लोक वासिनी देवियों के प्रसन्न होने और न होने की बात संदिग्ध भी हो सकती है पर शरीर लोक में रहने वाली इन देवियों की साधना का श्रम कभी भी व्यर्थ नहीं जा सकता। यदि थोड़ा भी प्रयत्न इनकी साधना के लिए किया जाय तो उसका भी समुचित लाभ मिल जाता है।
हमारे मनःक्षेत्र में विचरण करने वाली इन नौ देवियों के नाम हैं:—
- (1) आकाँक्षा
- (2) विचारणा
- (3) भावना
- (4) श्रद्धा
- (5) निष्ठा
- (6) प्रवृत्ति
- (7) क्षमता
- (8) क्रिया
- (9) मर्यादा।
इनका संतुलित विकास करके मनुष्य अष्ट-सिद्धियों और नव-सिद्धियों का स्वामी बन सकता है। संसार के प्रत्येक प्रगतिशील मनुष्य को जाने या अनजाने में इनकी साधना करनी ही पड़ी है और इन्हीं के अनुग्रह से उन्हें उन्नति के उच्च शिखर पर चढ़ने का अवसर मिला है।