सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की महिमा
दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक अत्यंत चमत्कारिक और तीव्र प्रभाव दिखाने वाला स्तोत्र है। जो लोग पूरी दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते वे केवल कुंजिका स्तोत्र का पाठ करेंगे तो उससे भी संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का फल मिल जाता है। भगवान शंकर कहते हैं कि सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ करने वाले को देवी कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास और यहां तक कि अर्चन भी आवश्यक नहीं है। केवल कुंजिका के पाठ मात्र से दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ की विधि
कुंजिका स्तोत्र का पाठ वैसे तो किसी भी माह, दिन में किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि में यह अधिक प्रभावी होता है। नवरात्रि के प्रथम दिन से नवमी तक प्रतिदिन इसका पाठ किया जाता है। साधक प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने पूजा स्थान को साफ करके लाल रंग के आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सामान्य पूजन करें।
अपनी सुविधानुसार तेल या घी का दीपक लगाएं और देवी को हलवे या मिष्ठान्न् का नैवेद्य लगाएं। इसके बाद अपने दाहिने हाथ में अक्षत, पुष्प, एक रुपए का सिक्का रखकर नवरात्रि के नौ दिन कुंजिका स्तोत्र का पाठ संयम-नियम से करने का संकल्प लें। यह जल भूमि पर छोड़कर पाठ प्रारंभ करें। यह संकल्प केवल पहले दिन लेना है। इसके बाद प्रतिदिन उसी समय पर पाठ करें।
कुंजिका स्तोत्र के लाभ
- धन लाभ: जिन लोगों को सदा धन का अभाव रहता हो, लगातार आर्थिक नुकसान हो रहा हो, बेवजह के कार्यों में धन खर्च हो रहा हो, उन्हें कुंजिका स्तोत्र के पाठ से लाभ होता है। धन प्राप्ति के नए मार्ग खुलते हैं।
- शत्रु मुक्ति: शत्रुओं से छुटकारा पाने और मुकदमों में जीत के लिए यह स्तोत्र किसी चमत्कार की तरह काम करता है।
- रोग मुक्ति: दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ जीवन से रोगों का समूल नाश कर देते हैं।
- कर्ज मुक्ति: यदि किसी व्यक्ति पर कर्ज चढ़ता जा रहा है, तो कुंजिका स्तोत्र का नियमित पाठ जल्द कर्ज मुक्ति करवाता है।
- सुखद दांपत्य जीवन: दांपत्य जीवन में सुख-शांति के लिए कुंजिका स्तोत्र का नियमित पाठ किया जाना चाहिए।
इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक
- देवी दुर्गा की आराधना, साधना और सिद्धि के लिए तन, मन की पवित्रता होना अत्यंत आवश्यक है।
- साधना काल या नवरात्रि में इंद्रिय संयम रखना जरूरी है।
- कुंजिका स्तोत्र का पाठ बुरी कामनाओं, किसी के मारण, उच्चाटन और किसी का बुरा करने के लिए नहीं करना चाहिए।
- साधना काल में मांस, मदिरा का सेवन न करें। मैथुन के बारे में विचार भी मन में न लाएं।
सिद्ध कुंजिका मंत्र
- संक्षिप्त मंत्र: “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”
- संपूर्ण मंत्र: “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ऊं ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
कैसे करें
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को अत्यंत सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए। प्रतिदिन की पूजा में इसको शामिल कर सकते हैं। लेकिन यदि अनुष्ठान के रूप में या किसी इच्छाप्राप्ति के लिए कर रहे हैं तो आपको कुछ सावधानी रखनी होंगी।
- संकल्प: सिद्ध कुंजिका पढ़ने से पहले हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लेकर संकल्प करें। मन ही मन देवी मां को अपनी इच्छा कहें।
- जितने पाठ एक साथ (1, 2, 3, 5, 7, 11) कर सकें, उसका संकल्प करें। अनुष्ठान के दौरान माला समान रखें।
- सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के अनुष्ठान के दौरान जमीन पर शयन करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- प्रतिदिन अनार का भोग लगाएं। लाल पुष्प देवी भगवती को अर्पित करें।
- सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में दशों महाविद्या, नौ देवियों की आराधना है।
सिद्धकुंजिका स्तोत्र के पाठ का समय
- रात्रि 9 बजे करें तो अत्युत्तम।
- रात को 9 से 11.30 बजे तक का समय रखें।
आसन
लाल आसन पर बैठकर पाठ करें
दीपक
घी का दीपक दायें तरफ और सरसो के तेल का दीपक बाएं तरफ रखें।
किस इच्छा के लिए कितने पाठ करने हैं
- विद्या प्राप्ति के लिए: पांच पाठ (अक्षत लेकर अपने ऊपर से तीन बार घुमाकर किताबों में रख दें)
- यश-कीर्ति के लिए: पांच पाठ (देवी को चढ़ाया हुआ लाल पुष्प लेकर सेफ आदि में रख लें)
- धन प्राप्ति के लिए: नौ पाठ (सफेद तिल से अग्यारी करें)
- मुकदमे से मुक्ति के लिए: सात पाठ (पाठ के बाद एक नींबू काट दें। दो ही हिस्से हों ध्यान रखें। इनको बाहर अलग-अलग दिशा में फेंक दें)
- ऋण मुक्ति के लिए: सात पाठ (जौं की 21 आहुतियां देते हुए अग्यारी करें। जिसको पैसा देना हो या जिससे लेना हो, उसका बस ध्यान कर लें)
- घर की सुख-शांति के लिए: तीन पाठ (मीठा पान देवी को अर्पण करें)
- स्वास्थ्य के लिए: तीन पाठ (देवी को नींबू चढ़ाएं और फिर उसका प्रयोग कर लें)
- शत्रु से रक्षा के लिए: 3, 7 या 11 पाठ (लगातार पाठ करने से मुक्ति मिलेगी)
- रोजगार के लिए: 3, 5, 7 और 11 (ऐच्छिक) (एक सुपारी देवी को चढ़ाकर अपने पास रख लें)
- सर्वबाधा शांति: तीन पाठ (लोंग के तीन जोड़े अग्यारी पर चढ़ाएं या देवी जी के आगे तीन जोड़े लोंग के रखकर फिर उठा लें और खाने या चाय में प्रयोग कर लें)