
जानिए आपका कौनसा चक्र बिगड़ा है और उससे जुड़ी समस्या
(1) मूलाधार चक्र
गुदा और लिंग के बीच चार पंखुरियों वाला ‘आधार चक्र’ है। आधार चक्र का ही एक दूसरा नाम मूलाधार चक्र भी है। इसके बिगड़ने से वीरता, धन, समृद्धि, आत्मबल, शारीरिक बल, रोजगार, कर्मशीलता, घाटा, असफलता, रक्त एवं हड्डी के रोग, कमर व पीठ में दर्द, आत्महत्या के विचार, डिप्रेशन, कैंसर आदि समस्याएं होती हैं।
(2) स्वाधिष्ठान चक्र
इसके बाद स्वाधिष्ठान चक्र लिंग मूल में है। इसकी छ: पंखुरियाँ हैं। इसके बिगड़ने पर क्रूरता, गर्व, आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, नपुंसकता, बाँझपन, मंदबुद्धिता, मूत्राशय और गर्भाशय के रोग, आध्यात्मिक सिद्धि में बाधा, वैभव के आनंद में कमी आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
(3) मणिपूर चक्र
नाभि में दस दल वाला मणिपूर चक्र है। इसके बिगड़ने पर तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह, अधूरी सफलता, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, नशाखोरी, तनाव, शंकालुप्रवृत्ति, कई तरह की बीमारियाँ, दवाओं का काम न करना, अज्ञात भय, चेहरे का तेज गायब होना, धोखाधड़ी, डिप्रेशन, उग्रता, हिंसा, दुश्मनी, अपयश, अपमान, आलोचना, बदले की भावना, एसिडिटी, ब्लडप्रेशर, शुगर, थायराइड, सिर एवं शरीर के दर्द, किडनी, लीवर, कोलेस्ट्रॉल, खून के रोग आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके बिगड़ने का मतलब है जिंदगी का बिगड़ जाना।
(4) अनाहत चक्र
हृदय स्थान में अनाहत चक्र है। यह बारह पंखुरियों वाला है। इसके बिगड़ने पर लिप्सा, कपट, तोड़-फोड़, कुतर्क, चिंता, नफरत, प्रेम में असफलता, प्यार में धोखा, अकेलापन, अपमान, मोह, दम्भ, अपनेपन में कमी, मन में उदासी, जीवन में वीरानी, सबकुछ होते हुए भी बेचैनी, छाती में दर्द, साँस लेने में दिक्कत, सुख का अभाव, हृदय व फेफड़े के रोग, कोलेस्ट्रॉल में बढ़ोतरी आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
(5) विशुद्धख्य चक्र
कंठ में विशुद्धख्य चक्र है। यह सरस्वती का स्थान है। यह सोलह पंखुरियों वाला है। यहाँ सोलह कलाएँ, सोलह विभूतियाँ विद्यमान हैं। इसके बिगड़ने पर वाणी दोष, अभिव्यक्ति में कमी, गले, नाक, कान, दांत, थायराइड, आत्मजागरण में बाधा आती है।
(6) आज्ञाचक्र
भ्रूमध्य में आज्ञा चक्र है, यहाँ ‘ओं’, ‘उद्गीय’, ‘हूं’, ‘फट’, ‘विषद’, ‘स्वधा’, ‘स्वहा’, सप्त स्वर आदि का निवास है। इसके बिगड़ने पर एकाग्रता, जीने की चाह, निर्णय की शक्ति, मानसिक शक्ति, सफलता की राह आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके बिगड़ने का मतलब है सबकुछ बिगड़ जाने का खतरा।
ॐ नमः शिवाय