उत्तरायण / सूर्य मंत्र
सूर्य मंत्र है ..
ॐ ध्रीं सूर्य आदित्येम् ।
इसका जप करें । वो ब्रह्मवेत्ता महाव्याधि और भय, दरिद्रता और पाप से मुक्त हो जाता है ।
सूर्य देव का मूल मंत्र है —
ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः ।
ये पद्म पुराण में आता है ….
सूर्य नमस्कार करने से ओज, तेज और बुद्धि की बढोत्तरी होती है |
ॐ सूर्याय नमः ।
ॐ रवये नमः ।
ॐ भानवे नमः ।
ॐ खगाय नमः ।
ॐ अर्काय नमः ।
सूर्य नमस्कार करने से आदमी ओजस्वी, तेजस्वी और बलवान बनता है इसमें प्राणायाम भी हो जाते हैं ।
???? विशेष -15 जनवरी 2021 मंगलवार को मकर संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से सूर्यास्त तक ) है ।
मकर संक्रांति
????नारद पुराण के अनुसार
“मकरस्थे रवौ गङ्गा यत्र कुत्रावगाहिता ।
पुनाति स्नानपानाद्यैर्नयन्तीन्द्रपुरं जगत् ।।”
सूर्य के मकर राशिपर रहते समय जहाँ कहीं भी गंगा में स्नान किया जाय , वह स्नान – पान आदि के द्वारा सम्पूर्ण जगत् को पवित्र करती और अन्त में इन्द्रलोक पहुँचाती है।
पद्मपुराण के सृष्टि खंड अनुसार मकर संक्रांति में स्नान करना चाहिए। इससे दस हजार गोदान का फल प्राप्त होता है। उस समय किया हुआ तर्पण, दान और देवपूजन अक्षय होता है।
गरुड़पुराण के अनुसार मकर संक्रान्ति, चन्द्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण के अवसर पर गयातीर्थ में जाकर पिंडदान करना तीनों लोकों में दुर्लभ है।
मकर संक्रांति के दिन लक्ष्मी प्राप्ति व रोग नाश के लिए गोरस (दूध, दही, घी) से भगवान सूर्य, विपत्ति तथा शत्रु नाश के लिए तिल-गुड़ से भगवान शिव, यश-सम्मान एवं ज्ञान, विद्या आदि प्राप्ति के लिए वस्त्र से देवगुरु बृहस्पति की पूजा महापुण्यकाल / पुण्यकाल में करनी चाहिए।
मकर संक्रांति के दिन तिल (सफ़ेद तथा काले दोनों) का प्रयोग तथा तिल का दान विशेष लाभकारी है। विशेषतः तिल तथा गुड़ से बने मीठे पदार्थ जैसे की रेवड़ी, गज्जक आदि। सुबह नहाने वाले जल में भी तिल मिला लेने चाहिए।
इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल में अश्विनी नक्षत्र है। रोग मुक्ति के लिए काँसे के पात्र में घी भरकर मंदिर में दान करें।
विष्णु पुराण, द्वितीयांशः अध्यायः 8 के अनुसार
कर्कटावस्थिते भानौ दक्षिणायनमुच्यते ।
उत्तरायणम्प्युक्तं मकरस्थे दिवाकरे ।।
सूर्य के कर्क राशि में उपस्थित होने पर दक्षिणायन कहा जाता है और उसके मकर राशि पर आने से उत्तरायण कहलाता है ॥
धर्मसिन्धु के अनुसार
तिलतैलेन दीपाश्च देया: शिवगृहे शुभा:।
सतिलैस्तण्डुलैर्देवं पूजयेद्विधिवद् द्विजम्।।
तस्यां कृष्ण तिलै: स्नानं कार्ये चोद्वर्त्नम तिलै:
तिला देवाश्च होतव्या भक्ष्याश्चैवोत्तरायणे
उत्तरायण के दिन तिलों के तेल के दीपक से शिवमंदिर में प्रकाश करना चाहिए , तिलों सहित चावलों से विधिपूर्वक शिव पूजन करना चाहिए. ये भी बताया है की उत्तरायण में तिलों से उबटना, काले तिलों से स्नान, तिलों का दान, होम तथा भक्षण करना चाहिए .
अत्र शंभौ घृताभिषेको महाफलः . वस्त्रदानं महाफलं
मकर संक्रांति के दिन महादेव जी को घृत से अभिषेक (स्नान) कराने से महाफल होता है . गरीबों को वस्त्रदान से महाफल होता है .
अत्र क्षीरेण भास्करं स्नानपयेव्सूर्यलोकप्राप्तिः
इस संक्रांति को दूध से सूर्य को स्नान करावै तो सूर्यलोक की प्राप्ति होती है
नारद पुराण के अनुसार
क्षीराद्यैः स्नापयेद्यस्तु रविसंक्रमणे हरिम् ।
स वसेद्विष्णुसदने त्रिसप्तपुरुषैः सह ।।
जो सूर्यकी संक्रान्तिके दिन दूध आदिसे श्रीहरिको नहलाता है , वह इक्कीस पीढ़ियोंके साथ विष्णुलोक में वास करता है।